ऋग्वेद-संहिता – प्रथम मंडल सूक्त 50
[ऋषि- प्रस्कण्व काण्व । देवता – सूर्य (११-१३ रोगघ्न उपनिषद)। छन्द – गायत्री, १०-१३ अनुष्टुप् ] ५८७.उदु त्यं जातवेदसं देवं वहन्ति केतवः । दृशे विश्वाय सूर्यम् ॥१॥ ये ज्योतिर्मयी रश्मियाँ सम्पूर्ण…
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[ऋषि- प्रस्कण्व काण्व । देवता – सूर्य (११-१३ रोगघ्न उपनिषद)। छन्द – गायत्री, १०-१३ अनुष्टुप् ] ५८७.उदु त्यं जातवेदसं देवं वहन्ति केतवः । दृशे विश्वाय सूर्यम् ॥१॥ ये ज्योतिर्मयी रश्मियाँ सम्पूर्ण…
आदित्यह्रदय स्त्रोत्र के कई रूप मिलते हैं जो भविष्योत्तर पुराण, पद्म पुराण, भविष्य पुराण और वाल्मीकि रामायण में उपलब्ध हैं। निम्नलिखित स्तोत्र भविष्यपुराण में प्राप्त होता है। यह स्तोत्र काफी…
पुराणों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे,…
तिथियों में एकादशी तिथि का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है, त्रयोदशी का सम्बन्ध भगवान शिव से है लेकिन एक एकादशी है जिसका सम्बन्ध भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से भी…
ज्योतिष शास्त्र काल निर्धारण शास्त्र है इसलिए यह एक प्रत्यक्ष शास्त्र है। इसका प्रयोजन बताते हुए महर्षि पराशर ने मैत्रेय से कहा है कि आयुष्य और लोकयात्रा इसका प्रमुख प्रयोजन…
आरती श्री नवग्रहों की कीजै। बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै।। सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर। जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै।। रुप चंद्र शीतलता लायें। शांति स्नेह सरस रसु भीजै।। मंगल…