दुर्गा शप्तशती में लक्ष्मी सम्बन्धी जो श्लोक आया है, उस श्लोक में लोचा है. उस श्लोक में कहा गया है कि सुकृत लोगो के घर हे देवी आप लक्ष्मी के रूप में निवास करती हैं और पापियों के घर में दरिद्रता के रूप में निवास करती हैं.
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम् ॥
जो पुण्यात्माओ के घरो में स्वयं श्री लक्षमी के रूप में, पापियो के यहाँ दरिद्रता रूप में, शुद्ध अंत:करण वाले व्यक्तियों के हृदय मे सदबुद्धि रूप में, सतपुरूषो में श्रद्धा रूप में, कुलीन व्यक्तियों मे लज्जा रूप मे निवास करती है। उसी भगवती दुर्गा को हम सभी नमस्कार करते है। हे देवी आप ही विश्व का पालन पोषण कीजिये ।
इस श्लोक में क्या लोचा है उसे इस वीडियो से समझें..
शप्तशती का यह श्लोक है धोखा, सुकृत के घर में नहीं रहती लक्ष्मी !
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