हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवताओं का रहस्य और महर्षि याज्ञवल्क्य का निर्णय
हिन्दू धर्म एकेश्वरवादी है लेकिन इस एकेश्वरवाद में सगुणोंपासना के लिए बहुदेवतावाद भी मान्य है. यदि सगुणोंपासना की बात करें तो पृथ्वी पर जितने मनुष्य हैं उतने देवता हो सकते…
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हिन्दू धर्म एकेश्वरवादी है लेकिन इस एकेश्वरवाद में सगुणोंपासना के लिए बहुदेवतावाद भी मान्य है. यदि सगुणोंपासना की बात करें तो पृथ्वी पर जितने मनुष्य हैं उतने देवता हो सकते…
हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों। साधन-नाम बिबुध दुरलभ तनु, मोहि कृपा करि दीन्हों॥१॥ कोटिहुँ मुख कहि जात न प्रभुके, एक एक उपकार। तदपि नाथ कछु और माँगिहौं, दीजै परम उदार॥२॥…
Before I start telling about Rambhadracharya, I would like to share with you the short story of my first encounter with him. It was year 1997 and I was a…
सभी ग्रह जितने अंशों में उच्च के होते हैं, उतने ही अंशों में अपनी उच्च राशि के सम्मुख (अपोजिट) राशि में नीच के होते हैं. जैसे चन्द्रमा वृष राशि में…
मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक: ।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरं। वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।। धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।। अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:। वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च…
राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:। अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।।1।। रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।2।। कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय:। बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।।3।। ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो…