किसके जान लेने पर सब कुछ जान लिया जाता है? “कस्मिन् नु भगवो विज्ञाते सर्वमिदं विज्ञातं भवतीति ॥” तो उत्तर है उस परावार ब्रह्म के जान लेने पर सब ज्ञात हो जाता है. फिर उन्हें यह क्यों नहीं ज्ञात था कि राहु उत्तरी नोड है और केतु दक्षिणी नोड. मत्स्य पुराण के लेखक वेदव्यास बताये गये हैं लेकिन ग्रह वर्णन में कहा गया है अनेक केतु हैं. महाभारत में लेखक वेदव्यास तीन तीन केतु देखता है. वराहमिहिर एकहजार केतु देखता है. उन्हें यह नहीं पता था कि केतु कर्मा प्लेनेट है और मोक्ष कारक है,जो 12वीं शताब्दी के ज्योतिषियों को ज्ञात हुआ.
वैदिक ज्योतिष में रहस्यमय है केतु, वेदव्यास ने देखे थे तीन -तीन केतु !
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