 
									गुजरात से आत्महत्या से सम्बन्धित बेहद चिंतनीय और चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. पहले गर्गएस्ट्रो डॉटकॉम ने बताया है कि गुजरात शनि शासित प्रदेश है और यहाँ पाप तथा अधर्म उत्कर्ष को प्राप्त है. गुजरात में कुछ लोगों का कब्जा है जो सारे सिस्टम को अपने लिए प्रयोग करते हैं, यहाँ लूटपाट तथा अनाचार अपने उच्च बिंदु पर पहुंच रहा है. यहाँ के अडानी-अम्बानी का देश की ज्यादातर कम्पनियों और उत्पादन के साधनों पर एक क्षत्र राज है. यहाँ के नरेंद्र मोदी पीएम हैं तथा अमित शाह गृहमंत्री हैं. खबर के अनुसार गुजरात सबसे ज्यादा मानसिक रूप से बीमार है. हिंदुत्व फासिस्ट रिजीम ने तो अपनी घृणा-विद्वेष की राजनीति और पापाचार से अन्य प्रदेशो को भी मानसिक रूप से बीमार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ही गरीब कमजोर लोगों के घर बुलडोजर से गिरा सकता है. फोटो मैनिया का शिकार एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ही समुन्द्र में इक्यूपमेंट पहन कर समुद्र तल पर बैठ कर फोटो और वीडियो करवा सकता है. इसको मिथ्याचार की पराकाष्ठा कहते हैं.
जहाँ एक तरफ मुकेश अम्बानी के पुत्र की शादी में अमेरिका की अश्वेत गायिका रेहाना को 75 करोड़ दिया गया है. इसी गुजरात में बहुसंख्यक गुजराती बेरोजगार है, मानसिक रूप से बीमार है और आत्महत्या कर रहा है. गुजरात सरकार ने विधानसभा में यह जानकारी दी कि पिछले तीन साल में करीब 25 हजार लोगों ने सुसाइड किया है. इनमें से लगभग 500 छात्र थे. गुजरात सरकार के अनुसार पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान राज्य में विभिन्न वजहों से 25,000 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली, जिनमें से करीब 500 विद्यार्थी थे. राज्य सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन साल के दौरान गुजरात के विभिन्न हिस्सों में 25,478 लोगों ने आत्महत्या की है जिनमें से 495 विद्यार्थी थे. 
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में 8,307 लोगों ने आत्महत्या की थी जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 8,614 और 2022-23 में 8,557 लोगों ने आत्महत्या की थी. गृह विभागके अनुसार आत्महत्या के सबसे अधिक (3,280) मामले अहमदाबाद शहर में दर्ज किये गये जबकि सूरत शहर में 2,862 और राजकोट शहर में 1,287 मामले दर्ज किये गये. सरकार के अनुसार ऐसे अतिवादी कदम के कारणों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामले, प्रेम मुद्दे, गंभीर बीमारी, पारिवारिक समस्याएं, वित्तीय संकट और परीक्षा में नाकाम होने का डर शामिल हैं.


 
					 
					 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			