माघ मास की अमावस्या ख़ास मानी गई है, इस अमावस्या में पूजा-दान का बड़ा फल होता है. माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. माघ महीने में तीर्थ में स्नान का महात्म्य माना गया है. इस दिन मौन रहना चाहिए और तीर्थ में जाकर गंगा आदि पवित्र नदियों अथवा तालाब में स्नान करना चाहिए. यदि नदी में जा सकतें तो घर में ही गंगा जल डाल कर स्नान करें. इस वर्ष की माघ अमावस्या कल यानी 9 फरवरी को है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म हुआ था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन किया गया शुभ कार्य अक्षय फल प्रदान करने वाला होता है. मौनी अमावस्या को दान करने का भी अक्षय फल होता है.
इस दिन दिन भर मौन रहने की साधना करनी चाहिए. मौन व्रत करने का भी शास्त्रों में बड़ा फल बताया गया है. यह अपने आप में ही बहुत बड़ी साधना है. अमावस्या तिथि पितरों के लिए समर्पित मानी जाती है इसलिए मौनी अमावस्या पितृ पूजन और तर्पण के लिए बेहद खास है. इस तिथि पर जल में काले तिल और लाल फूल डालकर पितरों को याद करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित कर सकते हैं. घर पर पितृ तर्पण कर सकते हैं. मौनी अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करन लाभप्रद होता है, पीपल में पितरों का वास होता है. पीपल के नीचे शाम के समय दीपक जलाना भी बहुत पुण्य देने वाला होता है. मौनी अमावस्या पर दान अवश्य देना चाहिए. अमावस्या शनि पूजन के लिए प्रशस्त तिथि है. इस दिन शनि मन्त्र के जप का तत्काल फल प्राप्त होता है. कुछ नहीं कर सकते तो पीपल के वृक्ष के नीचे 1 दीपक अमावस्या तिथि देवता के लिए और 8 बत्ती का एक बड़ा दीपक शनि मन्त्र बोलते हुए जलाएं और शनि को प्रणाम करें. इतने मात्र से आपका पुण्य अक्षय हो जायेगा.
मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या तिथि 9 फरवरी को सुबह 08:02 बजे से शुरू हो रही है, जिसका समापन अगले दिन 10 जनवरी को सुबह 04:28 बजे होगा. ऐसे में 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या मनाई जा रही है. मौनी अमावस्या पर पितृ पूजन, श्राद्ध इत्यादि कर्म दोपहर के बाद करना चाहिए.

