हर महान व्यक्ति अपने युग के साथ खत्म हो जाता है. राम भी द्वापर के प्रवेश के साथ मृत्यु को प्राप्त हो गये थे. जब एक युग खत्म हो जाता है तो दूसरे युग में दूसरा महापुरुष आता है. इस सन्दर्भ में “राम आये” और देश के सबसे भ्रष्ट, विधर्मी और आततायी ले आये? यह काफी हास्यास्पद है. राम के बाद वैष्णव अवतारवाद की श्रृंखला में श्री कृष्ण अवतरित हुए थे. श्री कृष्ण हर प्रकार से राम की मृत्यु थे. श्री कृष्ण राम से एक कदम आगे की मनुष्यता के आदर्श के रूप में अवतरित हुए. त्रेतायुग में बहुबल ही सबसे बड़ा बल था, रावण, बालि, सहस्रार्जुन इत्यादि बड़े बाहुबली थे. ऐसे में शस्त्रधारी बाहुबली राम की जरूरत थी. भगवद्गीता में कृष्ण ने राम को भगवान नहीं बताया है बल्कि विभूति बताया है. अनेक विभूतियों में जहाँ जहाँ जिस तरह की श्रेष्ठता है उसको अपना स्वरूप बताया है जैसे कवियों में उशना कवि !. अस्त्र- शस्त्र के महारथियों में राम का जिक्र किया ” शस्त्रधारियों में राम हूँ”. लेकिन जब मानव सभ्यता आगे बढ़ी तो कृष्ण का जन्म हुआ जो बंशी लेकर आये. उन्होंने शस्त्र कभी कभी ही धारण किया और महाभारत के युद्ध में शस्त्र न धारण करने का वचन भी दिया था. आगे का युग अस्त्र-शस्त्र का युग नहीं, शास्त्र का युग था.
वेदव्यास ने द्वापर में चारो वेदों के विभाग किये, ब्रह्मसूत्र बने और वेदांत धर्म की स्थापना हुई जिसके प्रणेता गीतकार श्री कृष्ण स्वयं हुए. श्री कृष्ण के स्वधाम गमन और कलियुग के प्रारम्भ के बाद जब कलियुग आगे बढ़ा तो याज्ञिक हिंसा को खत्म करने के लिए गौतम बुद्ध का जन्म हुआ जिन्होंने बौध धर्म की स्थापना की और सनातन हिन्दू धर्म रसातल में चला गया. बुद्ध के धर्म के एक हजार साल के बाद पुन: शिवावतार आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ जिन्होंने पुन; धर्म की स्थापना शास्त्र से ही किया.
कलियुग के अंत में कल्कि अवतार की कल्पना की गई है. कल्कि अवतार में भगवान को ब्राह्मण कुल में जन्म लेने की भविष्यवाणी पुराण कर चुके हैं. कल्कि अवतार के पीछे यही रहस्य है कि कलियुग के चरण ज्यों ज्यों आगे बढ़ेंगे मनुष्य शास्त्र की मर्यादा को तोड़ेगा. शास्त्रविहित कर्मों का त्याग कर देगा और स्वेच्छाचारी हो जायेगा. यह अभी अयोध्या में राजनीतिक कार्यक्रम करके विधर्मियों ने अशास्त्रविहित सब कुछ करके स्पष्ट रूप से सामने रखा है. ऐसे में मानव सभ्यता को पुन: संस्कृत और सभ्य बनाने के लिए और उसकी मर्यादा तो तय करने के लिए शास्त्र की जरूरत होगी. सनातन धर्म में शास्त्र पर भगवान ने ब्राह्मण को ही अधिकार प्रदान किया है इसलिए भगवान ब्राह्मण कुल में ही जन्म लेंगे. यह शास्त्र और शस्त्रधारी दोनों ही होंगे.

