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रोहिणी सबसे चमकीला नक्षत्र है इसलिए चन्द्रमा की 27 पत्नियों में सबसे सुंदर कहा गया है। चन्द्रमा इस नक्षत्र में सबसे ज्यादा समय बिताता है इसलिए पुराण कथाओं में रोहिणी को चन्द्रमा की सबसे प्रिय पत्नी कहा गया है। चन्द्रमा की इस गतिविधि से अन्य पत्नियों को बड़ा कष्ट था, बगल में भरणी, कृत्तिका हैं उन्हें इस बात से ज्यादा ही कोप था. एक दिन ज्योंहि रोहिणी के घर चन्द्रमा निकले 9 पत्नियों ने उन्हें घेर लिया और कृत्तिका, उत्तर फाल्गुनी, भरणी, उत्तराषढ, और उत्तरभाद्रपद ने रोहिणी को जोर पकड़ लिया और सभी नौ पत्नियाँ कहने लगी -इसको मार डालते है, सिर काट देते हैं इसके जीवित रहते चन्द्रमा हमारे पास भाव से कभी नहीं आयेंगे और हमे काम सुख नहीं मिलेगा। हमारे सुख को लूटने वाली इस पापिनी को मार देने संसार का हित है। चन्द्रमा को कुछ समझ में नहीं आया, रोहिणी बड़ी भयभीत थी। कृत्तिका, भरणी इत्यादि के क्रूर चरित्र को रोहिणी भली भाँती जानती थी।

तब मघा इत्यादि अन्य पत्नियों ने बीच बचाव किया तो चन्द्रमा ने रोहिणी को उनके चुंगल से छुड़ा लिया। चन्द्रमा ने 9 पत्नियों को श्राप दे दिया ‘यस्मानमं पुरश्चोग्रास्तिक्षणा वाच: समीरिता:/भवतिभिश्च तिसृभिर्लोकेस्मिन कृत्तिकादिभि: / उग्रास्तीक्ष्णा इति ख्याति प्राप्तव्या त्रिदशेश्वपि’ तुम सबने मेरे सामने तीक्ष्ण, कटु वचन कहे, झगड़ा मारपीट पर उतारू हो गई इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूँ कि तुम सब आज से दारुण, तीक्ष्ण संज्ञक कहीं जाओगी। तब से ये 9 नक्षत्र अनुपयोगी हो गये, शुभ कार्यों में इनका उपयोग नहीं होता। इस घटना के बाद पुराण की चन्द्रमा को दक्ष श्राप की कथा आती है। सभी असंतुष्ट पत्नियाँ पिता दक्ष के पास गई और उन्होंने बताया कि चन्द्रमा से उन्हें कोई सुख नहीं है, दक्ष ने चन्द्रमा को बुला कर समझया की अच्छे पति की तरह सबको समय और सम्मान दो लेकिन चन्द्रमा नहीं माना। तब दक्ष ने चन्द्रमा को क्षीण होने का श्राप दे दिया। जिसकी वजह से चन्द्रमा की कलाएं पन्द्रह दिन घटती और बढती हैं।