
प्रयागराज (Prayagraj Mahakumbh Stampede) में 29 जनवरी को तड़के दो बजे संगम के किनारे भगदड़ हुई. जिसमें 30 लोगों की मौत की खबर है. लेकिन इस भगदड़ के कुछ ही घंटो के बाद एक और भगदड़ हुई. इस बार जगह संगम नोज से दो किलोमीटर दूर थी. भगदड़ स्थल पर बिखरे कपड़े और जूतों के ढेर किसी बड़े हादसे की ओर इशारा कर रहे हैं. लेकिन मृतकों औऱ घायलों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. हालांकि, भगदड़ के दौरान मौजूद लोगों ने इसमें कई लोगों की जान जाने का दावा किया है.
लल्लनटॉप के सीनियर जर्नलिस्ट अभिनव पांडे और वीडियो जर्नलिस्ट मोहन कनौजिया की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में इस भगदड़ में हुई भयावहता का खुलासा हुआ है. वीडियो फुटेज में साइट से ट्रैक्टर की मदद से कपड़े, जूते और बोतलों के ढेर को हटाते हुए देखा जा सकता है. इसके अलावा हमारी टीम ने भगदड़ के दौरान घटनास्थल पर मौजूद लोगों से भी बात की है. जिन्होंने बताया कि उन्होंने भीड़ में लोगों को दबते और फिर वहां से शवों की रिकवरी होते हुए देखा है.
यह घटना झूंसी में हुई है. जोकि संगम नोज वाली जगह से सिर्फ दो किलोमीटर दूर है. गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित झूंसी से होकर भी संगम स्थल तक पहुंचा जा सकता है. पहली भगदड़ तड़के दो बजे के आसपास हुई थी. वहीं झूंसी में हुई ये भगदड़ सुबह के 6 बजे के आसपास हुई थी. झूंसी के हल्दीराम कियोस्क की नेहा ओझा ने लल्लनटॉप को बताया-
यहां लाशें पड़ी थीं. और कोई उनके बारे में पूछ नहीं रहा था. सुबह में दम घुटने की वजह से मरने वाले लोगों को दोपहर डेढ़ बजे तक ले जाया गया. भगदड़ के चार घंटे बाद एक महिला कांस्टेबल पहुंची. पुलिस लोगों को वीडियो बनाने से रोक रही थी.
पूरी खबर यहाँ लल्लन टॉप पर पढ़े –लाशें पड़ी थीं, बच्चे कुचले जा रहे थे… कुंभ में दूसरी जगह भी मची थी भगदड़, चश्मदीदों ने सब बताया