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अनेक चिंतकों, दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने सपनों में अपने जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान पाए थे और उनसे संसार का बड़ा कल्याण हुआ था. स्वप्न जाग्रत अवस्था से उच्चतर स्थिति है. दांते की प्रसिद्ध कविता ‘डिवाइन कॉमेडी” एक सपनों की ही किताब है. लंदन में ब्रिटिश लाइब्रेरी में प्रदर्शित पांडुलिपि पर लिखे एक नोट के अनुसार, जब सैमुअल टेलर कोलरिज अपनी प्रसिद्ध कविता लेकर आए तो वह असामान्य रूप से गहरी नींद में थे. कोलरिज ने दर्द के लिए अफ़ीम ली थी; नशे बहकने के बाद, उन्होंने जो सपना देखा जिसने उनके रोमांटिक क्लासिक “Kubla Khan” लिखने के लिए प्रेरित किया. अनेकों ऐसे उदहारण हैं लेकिन यहाँ कुछ प्रसिद्ध वैज्ञानिकों और चिंतकों के सपनो का जिक्र किया गया है-

अंतर्ज्ञानी मन एक पवित्र उपहार है और तर्कसंगत मन एक वफादार सेवक है. हमने एक ऐसा समाज बनाया है जो सेवक का सम्मान करता है और उपहार को भूल गया है.
-अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइन्स्टीन के सपने –
आइंस्टाइन के अनेक वैज्ञानिक सवालों के जवाब सपनों में मिले थे. सापेक्षता का सिद्धांत उन्हें गाय के सपने में आया था. उन्होंने सपना देखा कि वह एक खेत से गुजर रहे हैं और उनकी नजर बिजली की बाड़ के पास कुछ गायों पर पड़ी. फिर उन्होंने देखा कि गायें उसी समय कूद रही थीं, जब बाड़ ने उन्हें बिजली का झटका दिया. लेकिन एक किसान, जो खेत के दूसरे छोर पर खड़ा था, उसने उन्हें मैक्सिकन लहर (Mexican wave) की तरह एक-एक करके कूदते देखा. आइंस्टीन को एहसास हुआ कि एक ही घटना के बारे में उनके विचार अलग-अलग थे. इससे सापेक्षता का सिद्धांत दुनिया के सामने आया. उन्होंने एक जगह और इससे सम्बन्धित एक अन्य सपने के बारे में लिखा है. उन्होंने लिखा है -“मैं रात को अपने दोस्तों के साथ स्लेजिंग कर रहा था. मैं पहाड़ी से नीचे फिसलने लगा लेकिन मेरी स्लेज और तेज़ चलने लगी. मैं इतनी तेजी से जा रहा था कि मुझे एहसास हुआ कि मैं प्रकाश की गति के करीब पहुंच रहा हूं. मैंने उस बिंदु पर नज़र उठाई और मैंने तारे देखे. वे ऐसे रंगों में अपवर्तित हो रहे थे जो मैंने पहले कभी नहीं देखे थे. मैं विस्मय की भावना से भर गया. मैं समझ गया कि मैं अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अर्थ को देख रहा हूँ.”

मैरी क्युरी का सपना –
मैडम क्यूरी लगभग तीन वर्षों से एक गणितीय समस्या को हल करने की कोशिश कर रही थीं, जिस पर उसका पूरा शोध निर्भर था. एक रात निराश होकर, उन्होंने पूरा प्रोजेक्ट छोड़ दिया और सो गई. उस रात को सपने में उन्हें समस्या का समाधान मिला. वह उठी, इसे डेस्क पर लिखा और फिर वापस सो गई. सुबह वह इसके बारे में पूरी तरह भूल गईं थीं. जब सुबह वह डेस्क पर काम करने आईं तो आश्चर्यचकित रह गईं – वहाँ प्रश्न का उत्तर लिखा हुआ था, चमत्कारिक ढंग से! तीन साल से वह इस पर काम कर रही थीं – यह कहाँ से आया था? तभी उनको एक सपना याद आया. सपने में उन्होंने पूरा उत्तर लिखा हुआ देखा था. फिर क्यूरी को याद आया कि वह रात को उठी थी और उन्होंने उसे लिखा था. उन्होंने लिखावट को देखा – यह उसकी अपनी ही थी. मैडम क्युरी ने रेडियम और रेडियोएक्टिविटी की खोज की थी.

ऑगस्ट केकुले का सपना-
ऑगस्ट केकुले इस बात को लेकर कार्य कर रहे थे कि बेंजीन में परमाणु कैसे व्यवस्थित होते हैं. यह एक कठिन समस्या थी,क्योंकि कार्बन और हाइड्रोजन परमाणुओं का अनुपात अन्य हाइड्रोकार्बन यौगिकों में देखे गए अनुपात से भिन्न था. सन 1865 की एक ठंडी रात में उन्होंने अपने कमरे में समस्या पर काम किया. कोई समाधान न ढूंढ पाने पर वे अपनी कुर्सी आग की ओर कर दी और सो गये.वह परमाणुओं के नाचने का सपना देखने लगे.धीरे-धीरे परमाणुओं ने स्वयं को साँप के आकार में व्यवस्थित कर लिया. तभी साँप पलटा और अपनी ही पूँछ में काट लिया.उनकी आँखों के सामने मुँह में पूँछ दबाये साँप की छवि नाचती रही.जब केकुले सपने से जागे,तो उन्हें एहसास हुआ कि सपना उनसे क्या कह रहा था: बेंजीन के अणु कार्बन परमाणुओं के छल्लों से बने होते हैं. उन्होंने बेंजीन का स्ट्रक्चर खोज निकाला.

इन सुगंधित छल्लों को समझने से रसायन विज्ञान का एक बेहद महत्वपूर्ण नया क्षेत्र – सुगंधित रसायन विज्ञान – और रासायनिक बंधन की एक नई समझ खुली.

दिमित्री मेंडेलीव का सपना –

दिमित्री मेंडेलीव रासायनिक तत्वों को व्यवस्थित करने का तार्किक तरीका खोजने के प्रति जुनूनी थे.यह कई महीनों से उसके दिमाग में चल रहा था. 1869 में उन्होंने कार्डों पर तत्वों के नाम लिखे- प्रत्येक कार्ड पर एक तत्व. फिर उन्होंने प्रत्येक तत्व के गुणों को उसके कार्ड पर लिखा.उन्होंने देखा कि परमाणु भार किसी तरह से महत्वपूर्ण था,लेकिन उन्हें कोई पैटर्न नहीं मिला.

इस बात से आश्वस्त हो कर सो गये कि वह कुछ महत्वपूर्ण खोज करने के करीब हैं.जब वह जागे, तो उसने पाया कि उसके अवचेतन मन ने उसके लिए अपना काम कर दिया है! तत्वों की एक तार्किक व्यवस्था उनके पास आ गई थी.बाद में उन्होंने लिखा:

“एक सपने में मैंने एक मेज देखी जहां सभी तत्व आवश्यकतानुसार अपनी निश्चित जगह पर पड़े हुए थे. जागने पर,मैंने तुरंत इसे कागज के एक टुकड़े पर लिख दिया.”

श्रीनिवास रामानुजन का सपना –

श्रीनिवास रामानुजन के पास गणित में नगण्य औपचारिक प्रशिक्षण था.उन्होंने अपने 32 वर्ष के छोटे से जीवनकाल में उन्होंने गणित में लगभग 4,000 प्रमाण, पहचान, अनुमान और समीकरण तैयार किए.
एलिप्टिक फ़ंक्शंस और संख्या सिद्धांत जैसे क्षेत्रों में उनके विचार लगभग सभी सही थे.वे समय से आगे थे, और आज भी गणितज्ञों द्वारा किए गए शोध को प्रेरित और निर्देशित करते हैं.रामानुजन ने कहा कि देवी नामागिरी उनके सपनों में आती थीं और उन्हें गणितीय प्रमाण दिखाती थी,जिसे वह जागने पर लिख लेते थे.उन्होंने सपने के बारे में लिखा :

“सोते समय मुझे एक असामान्य अनुभव होता था.मानो बहते खून से एक लाल पर्दा बन गया हो. मैं इसका अवलोकन कर रहा होता. अचानक एक हाथ स्क्रीन पर लिखना शुरू कर देता था.उस हाथ ने अनेक elliptic integrals लिखे. वे मेरे मन में उत्कीर्ण हो जाते थे. जैसे ही मैं जगता था उसे लिखने के लिए बैठ जाता था”

रेने डेसकार्टेस का सपना-

डेसकार्टेस आधुनिक विज्ञान के जनक माने जाते हैं. डेसकार्टेस ने लिखा है कि वैज्ञानिक पद्धति का आधार उन्हें 10 नवंबर, 1619 को देखे गए सपनों में मिला. उन्होंने 10 नवंबर, 1619 को लगातार एक एक बाद एक तीन सपने देखे थे जिनमे इनके दार्शनिक सिद्धांत छिपे हुए थे जिसे उन्होंने “Discourse on the Method of Properly Guiding the Reason in the Search of Truth in the Sciences.” में लिखा था. यह किताब आधुनिक विज्ञान और चिन्तन का आधार बना और इसके कारण पश्चिम जगत ने वैज्ञानिक क्रांति कर दिया.
डेसकार्टेस ने पहला सपना देखा जिसमे वे एक बवंडर से घिरे हुए थे और एक प्रेत से भयभीत थे. उन्हें लगातार गिरने का अहसास होता रहा था,बवंडर में एक कदम भी ठीक से नहीं चल पा रहे थे. उसी समय वह कॉलेज प्रांगण में एक व्यक्ति को देखते हैं जो उसका स्वागत करता है और उससे कहता है कि “Monsieur N” के पास कुछ देने के लिए है.उन्होंने सोचा कि उन्हें एक विदेशी तरबूज भेंट किया जाएगा.हिन्दू शास्त्र में फल का सपना शुभ माना जाता है.

डेसकार्टेस ने दूसरे सपने के पूर्व दुनिया में अच्छाई और बुराई के बारे में कुछ घंटों तक चिन्तन किया था और सो गये थे.डेसकार्टेस ने सपने में एक कर्णभेदी गड़गड़ाहट को सुना. इससे भयभीत हो वे वापस जाग्रत अवस्था में आ जाते हैं. अपनी आँखें खोलने पर वह अपने चारों ओर बड़ी संख्या में ज्वलंत चिंगारी तैरते हुए देखते हैं. इस अजीब घटना की संतोषजनक प्राकृतिक व्याख्या पा कर, वह फिर से सो जाते हैं.

डेसकार्टेस ने तीसरे सपने में देखा कि सब कुछ शांत था. उन्होंने मेज़ पर कविताओं का एक संकलन रखा हुआ देखा. उन्होंने इसे बेतरतीब ढंग से खोला और ऑसोनियस की कविता पढ़ी, “”Quod vitae sectabor iter” (मुझे जीवन में कौन सा रास्ता अपनाना चाहिए?). एक अजनबी सामने आया और उसने उसे “Est et non” (हाँ और नहीं) कविता उद्धृत की. डेसकार्टेस उस आदमी से चाहते थे कि वह दिखाए संकलन में यह कहाँ है, लेकिन पुस्तक गायब हो गई और फिर से प्रकट हुई. डेसकार्टेस ने उस आदमी से कहा कि वह उसे “Quod vitae sectabor iter” से शुरू होने वाली एक बेहतर कविता दिखा सकते हैं. इस बिंदु पर वह आदमी, किताब और पूरा सपना विलीन हो गया.
डेसकार्टेस इस सब से इतना हतप्रभ थे कि वे प्रार्थना करने लगे .उन्होंने माना कि उनके सपनों की उत्पत्ति अलौकिक थी.