आरएसएस-मोदी द्वारा अशास्त्रीय अधूरे शिखर विहीन मन्दिर के राजनैतिक उद्घाटन और बनियों और चार्वाकों के नव-मनुवाद की स्थापना पर कई तरह से ग्रहण लग गया है. पहला ग्रहण तो यही लग गया कि मन्दिर का भूमिपूजन राहुकाल में और चातुर्मास्य में हुआ था. भगवान विष्णु और देवताओं के उपस्थित न होने से इस भूमि पर आसुरी शक्तियों का अधिपत्य हो गया. इस कारण सिहिका दानवी के पुत्र राहु-केतु का यहाँ कब्जा हो गया. उनके अशुभ प्रभाव में सिरविहीन, ध्वजविहीन इस मन्दिर में आसुरी शक्तियों ने राजनीतिक कार्यक्रम लगा इसे चुनावी मैदान बना दिया. मन्दिर सेक्रेटरी मन्दिर का सोना-चांदी के लूटने की बातें करने लगा.
इस पूरे आयोजन में गुजराती ठगों की लूटपाट रिजीम भी गहरे शरीक है इसलिए स्टॉक एक्सचेंज को बंद कर दिया गया है जबकि सबको पता है कि मन्दिर अधूरा-शिखरविहीन है, शास्त्रों का पालन नहीं किया जा रहा है और यह बीजेपी का राजनीतिक कार्यक्रम है. इसमें धर्म और आस्था का कोई लेना देना नहीं है. अब इस पर प्रारम्भ में ही बड़ा ग्रहण लग गया था जब गरुवर्ग जिसमे प्रमुख रूप से चार शंकराचार्य और रामानंदाचार्य हैं बुरी तरह नाराज हो गये और अशास्त्रविहित इस मन्दिर के राजनीतिक समारोह का बॉयकाट कर दिया. गौरतलब है कि अधर्मी फासिस्टों की धर्म के माध्यम से सम्विधान और जनतंत्र को खत्म कर Autocracy स्थापित करने की यह अंतिम मुहीम है.
इन सबके बीच नरेंद्र मोदी के मिथ्याचार और बनियों के नव-मनुवाद के खिलाफ दलित-जनजातीय समाज ने मुहीम छेड़ दिया है. सोशल मीडिया पर दलित समाज के जागरूक नवयुवक, बुद्धिजीवी 22_जनवरी22प्रतिज्ञाएं ट्रेंड करा रहा है. ये 22 प्रतिज्ञाएँ डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिज्ञा कही जाती हैं . इस फोटो में इस प्रकार लिस्टेड है ..


