
वैदिक ज्योतिष काल विद्या है. वैदिक काल में इसका काम शुद्ध काल निकालना होता था जिसमे यज्ञ इत्यादि कर्म किये जाते थे. दिन-रात अर्थात अहोरात्र में सभी ग्रहों की होरा बारी बारी से होती है. वक्त का पहिया ग्रहों द्वारा नियंत्रित है इसलिए हर घंटा उनके द्वारा शासित है. प्रत्येक दिन के भाग में सात ग्रहों के काल के बीच एक काल लगभग 90 मिनट का राहु काल होता है. यह काल शुभ काम में वर्ज्य है. कोई शुभ काम नहीं किया जाता. हलांकि हिंदुत्व फासिस्ट्स इसे नहीं मानते, वे राजनीतिक समय को मानते हैं. आरएसएस ने राममन्दिर भूमि पूजा सबसे अशुभ मुहूर्त किया था जब चातुर्मास्य चल रहा था और राहुकाल था. जो भी रेशनल है वो इसको नहीं मानता. बाबा-बनिया दोनों नहीं मानते. लालची रामायण पंथियों ने चातुर्मास्य जिसमे विष्णु सोये थे उसी में भूमि पूजन करवाया और वो भी राहु काल में ?? राहु काल में शैतान जगाया जाता है. जो रेशनल है वो राहु काल में शैतान जगाते हैं. कुछ क्रूर घोर देवता की पूजा का प्रावधान भी है.
सूर्योंदय और सूर्यास्त के आधार पर अलग अलग स्थानों पर राहुकाल की अवधि में अंतर होता है. राहु काल प्रात:काल में किसी भी दिन नहीं होता है. हफ्ते के सातों दिन इसका अलग अलग समय होता है. सोमवार को यह दिन के द्वितीय भाग में, शनिवार को तीसरे भाग में, शुक्रवार को चतुर्थ भाग में, बुधवार को पांचवें भाग में, गुरूवार को छठे भाग में, मंगलवार को सातवें भाग में और रविवार के दिन आठवें भाग पर राहु का प्रभाव होता है.
- Monday: 7:30 a.m.–9:00 a.m. (2nd part)
- Tuesday: 3:00 p.m.–4:30 p.m. (7th part)
- Wednesday: 12:00 p.m.–1:30 p.m. (5th part)
- Thursday: 1:30 p.m.–3:00 p.m. (6th part)
- Friday: 10:30 a.m.–12:00 p.m. (4th part)
- Saturday: 9:00 a.m.–10:30 a.m. (3rd part)
- Sunday: 4:30 p.m.–6:00 p.m. (8th part)
राहु काल ज्ञात करने के लिए मुहूर्त शास्त्र में नियम बताया गया है. इस नियम के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ बराबर भागों में विभाजित किया जाता है. राहु काल की गणना में सूर्योदय का समय सदैव 6 बजे सुबह माना जाता है और सूर्यास्त का 6 बजे शाम. एक दिन 12 घंटे का होता है. 12 घंटे को 8 से विभाजित किया जाता है. इस गणना के आधार पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन का प्रत्येक भाग 1.5 घंटे का होता है. इस प्रकार प्रत्येक दिन राहु काल होता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु को नवग्रह में स्थान दिया गया है. इसके द्वारा शासित 90 मिनट अर्थात डेढ़ घंटे अशुभ काल है. राहु वायु तत्व, मलेच्छ प्रकृति और नीले रंग, ध्वनि तरंगों पर अपना विशेष अधिकार रखता है. शरीर के कान, जिह्वा, समस्त सिह तथा गले में राहु का प्रभाव रहता है. सोच-विचार, झूठ, छल-कपट, स्वप्न जैसी क्रियाएं राहु के अधीन हैं.