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नरेंद्र मोदी को सन्तानविहीन क्यों रह गये ? एक कारण तो पहले बताया गया था कि शुक्र दशवे भाव में शनि से पीड़ित है. दसवे शुक्र वंश वीर्य को नष्ट करता है विशेष रूप से अग्नि प्रधान राशि में हो या क्रूर-शुष्क राशि में हो तो वीर्य वंश नष्ट होता है. यह एक मोटा मोटा फल है जिसका प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में वर्णन है.

दूसरा पंचमेश, शुक्र और सूर्य की स्थिति पुरुष कुंडली में देखना चाहिए तथा सप्तांश कुंडली भी देखना चाहिए. इन दोनों चीजों को देखने के आलावा अनेक विद्वान् शनि को सन्तान का महत्वपूर्ण कारक मानते हैं. मुकुंद बल्लभ मिश्र ने अपने फलित मार्तण्ड में भी ऐसा कहा है. शनि दशम भाव में शुक्र के साथ है जिससे शुक्र खराब हुआ है. शुक्र, सूर्य और गुरु के अंशो से बीज स्फुट निकाला जाता है. वह यदि खराब जगह पड़े, खराब नक्षत्र में पड़े तथा उस राशि में गुलिक हो तो सन्तान नहीं होती. मोदी की कुंडली में बीज स्फुट वृश्चिक में गंडमूल नक्षत्र ज्येष्ठा में है और बुध एक नपुंसक ग्रह है. सप्तांश कुंडली में मिथुन राशि है जो अष्टम भाव की राशि है. सप्तांश कुंडली में शुक्र 6वें स्थित है जो यहाँ पंचमेश है और लग्न कुंडली का सप्तमेश है, यह सप्तांश कुंडली के अष्टमेश शनि द्वारा दृष्ट है तथा दोनों कुंडली के षष्टमेश द्वारा दृष्ट है अर्थात वीर्य दोष स्पष्ट है. दूसरे पंचमेश बृहस्पति और सूर्य बुध के साथ दसवें में स्थित हैं जो पंचम के फल का निषेध करता है.

राहु दोनों कुंडली में 5वें स्थान में हैं जो पूर्व काल के सर्प दोष या परदादाओ के श्राप को स्पष्ट करता है. सूर्य जो सन्तान कारक है वह लग्न कुंडली में एकादश स्थान में केतु के साथ गूढ़ युति में है जो पुन: पितृदोष की तरफ इंगित करता है. दूसरी तरफ बृहस्पति पंचमेश है जो पाप ग्रह की राशि में है, राशि का स्वामी शनि द्वादशेश के साथ दशम में है तथा भाव स्वामी से समसप्तक है जो सन्तान का विरोधी है. लग्नेश नवांश तथा सप्तांश दोनों में द्वादश है. बृहस्पति गुरु शतभिषा में स्थित है जिसका स्वामी दोनों कुंडली में पंचम भाव में ही स्थित है, यह इंगित करता है कि पूर्व जन्म में जातक न केवल पितामहों बल्कि भृगुवंशी ब्राह्मणों को पीड़ित करने वाला भी रहा है.

बुध के कारण नपुंसक होने के कारण शायद काशी के ज्योतिष मोदी को मोर खेलाने के लिए बोले होंगे. अक्टूबर 2020 में जब बुध वक्री हुआ था तब तोता खेलाये थे. गोदी मीडिया इसे प्रकृति प्रेम बताते थे जबकि नरेंद्र मोदी ज्योतिषियों के कहने पर ही यह सब कर रहे थे. गौरतलब है कि मोदी ने ज्योतिषियों के कहने पर ही जनता से थाली बजवाया था और 9 बजे 9 मिनट वाला कार्यक्रम भी किया था. ज्योतिष पर इनका गहरा विश्वास है. यदि कुंडली में शनि क्रूर पाप ग्रह दशम में द्वादशेश के साथ नहीं होता तो शायद यह आदमी राजकोष का अपव्यय, जालशाजी, गुप्त गतिविधियाँ, उगाही, राजनीतिक क्रूरता का प्रदर्शन नहीं करता और कुछ अच्छा आवश्य कर सकता था. धर्म का पापत्व सबसे बड़ा होता है जिसको इन्होने दस साल अंजाम दिया.