
मिथुन लग्न के जातक तीक्ष्ण बुद्धि के होते हैं और अनेक विषयों के ज्ञाता होते हैं.यह बुध का लग्न है और इसका सिम्बल देखें तो यह स्त्री-पुरुष का जोड़ा है अर्थात इस लग्न के जातक काफी रोमांटिक और सम्बन्धों में अस्थिर होते है. कला, लेखन, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में ये जातक बहुतायत में मिलते हैं. भारतीय फिल्म उद्योग के तीन स्टार राजेश खन्ना, मुमताज और शम्मी कपूर इसी लग्न के जातक थे,दक्षिण की सुपर स्टार जयललिता भी मिथुन लग्न की थी. हॉलीवुड में स्टीवन स्पील वर्ग, जुली क्रिस्टी तथा विज्ञान और साहित्य में आइन्स्टीन, जॉन केपलर, देवकी नन्दन खत्री,अमृताप्रीतम,रुडयार्ड किपलिंग, सुमित्रानंदन पन्त इत्यादि प्रसिद्ध व्यक्तित्व मिथुन लग्न के ही थे. मिथुन लग्न द्विस्वभाव लग्न है इसलिए जातक का स्वभाव भी कुछ ऐसा होता है. सेक्सुआलिटी के बावत इन लग्न के जातकों का सम्बन्ध स्थिर नहीं होता, बहुधा ये अनेक सम्बन्ध बनाते हैं.
इस लग्न में मंगल, बृहस्पति और शनि पाप फलदायक होते हैं,एक शुक्र ही शुभ होता है,जैसा कहा गया है “भौमजीवारूणा पापो: एक एक एव कवि शुभ:” शनि यदपि की नवमेश होता है फिर भी अष्टमेश होने के कारण अशुभ फलदायी कहा गया है. मंगल, बृहस्पति, शनि किस परिमाण में पाप फल देंगे यह कुंडली में उनकी स्थिति पर निर्भर करता है. कुंडली में बहुत शुभ योगों की स्थिति में अशुभ ग्रह भी उन शुभ योगों के अनुसार परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं. सिद्धांत के अनुसार किसी योगकारी ग्रह से सम्बन्ध होने से पापी ग्रह भी अपनी दशा में शुभ ग्रह की अन्तर्दशा में शुभ फल ही देते हैं. यदि किसी योगकारक की दशा हो तो उसमे उसके सम्बन्धी पाप-मारक ग्रह की अन्तर्दशा में भी राजयोग हो सकता है. बृहस्पति इस लग्न में सप्तम और दशम हॉउस का लार्ड होता है इसलिए इसको केंद्राधिपत्य दोष होता है और केंद्र में ही बैठे तो यह ज्यादा पाप फल देता है. मिथुन लग्न में या कन्या लग्न में बृहस्पति की महादशा शायद ही शुभ फल देने वाली होती है.
बृहस्पति को केंद्राधिपत्य दोष बुध के दोनों लग्नों कन्या और मिथुन में रहता है इसलिए बृहस्पति की दशा में बहुधा इन लग्न के जातकों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है.
चलिए राजेश खन्ना की कुंडली को देखें –

राजेश खन्ना की कुंडली में बृहस्पति उसका सप्तमेश और दशमेश होकर केंद्र में स्थित है और लग्न लार्ड, तथा पंचमेश से समसप्तक सम्बन्ध में हैं. 1982 में बृहस्पति की दशा के प्रारम्भ होते ही उनकी पत्नी डिम्पल कपाड़िया से उनका डायवोर्स हो गया. यह इसका सबसे पहला अशुभ फल था. राजेश खन्ना सुपर स्टार बन कर चमक रहे थे, बृहस्पति की महादशा के प्रारम्भ होते ही उनकी फ़िल्में पीटने लगीं और इसी दशा में बतौर सुपर स्टार क्षितिज से गायब हो हो गए. यह दौर अमिताभ बच्चन के स्टारडम का था, 1981 में बच्चन की सिलसिला, कालिया, लावारिस, याराना, नसीब इत्यादि हिट फ़िल्में आ चुकी थी.
बृहस्पति सप्तमेश है और शुक्र से समसप्तक सम्बन्ध में है जो पंचमेश और द्वादश लार्ड है. समसप्तक सम्बन्ध कोई शुभ सम्बन्ध नहीं होता. बृहस्पति लग्नेश बुध के साथ स्ट्रांग राशि परिवर्तन योग में भी है. पारम्परिक ज्योतिष में यदपि की सम सप्तक सम्बन्ध को शुभ कहा गया है लेकिन यह मूलभूत रूप से मारक सम्बन्ध ही होता है. सप्तम जाया हॉउस है, स्त्री का हॉउस है तो एकतरफ लम्बे समय तक पत्नी रही डिम्पल कपाड़िया से डायवोर्स हो गया तो दूसरी तरफ टीनामुनीम के साथ उनका लवअफेयर शुरू हुआ जो सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं था, वो कमोवेश उसकी लिवईन पार्टनर जैसी बन गई थी. बृहस्पति की महादशा में राजेश खन्ना ने टीनामुनीम के साथ कई फ़िल्में की जिनमे कुछ ठीक ठाक चल गईं थी क्योंकि इसमें उसका भी योग जुड़ गया था. बृहस्पति दशमेश है तो राज्यभाव का फल हुआ, राजेश खन्ना इसी दशा राजनीति में उतरे और 1984 में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया, 1991 में Jupiter-Venus-Mars दशा में अडवाणी के खिलाफ नई दिल्ली लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन हार गये. 1992 सीट खाली हुई तो इस बार शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में थे. भाग्येश शनि प्रत्यंतर दशा में था, खन्ना लड़े और लगभग 25 हजार वोटों से जीत गये. बृहस्पति महादशा में एक तरह से न केवल खन्ना का फ़िल्मी करियर तेजी से ढलान पर गया बल्कि यह दशा कमोवेश उनके फ़िल्मी अध्याय का क्रमशः समापन था. 1998 में बृहस्पति की महादशा के बीत जाने के बाद राजेश खन्ना भी कमोवेश बीत गये. शनि की महादशा शुरू हो गई. 1996 के बाद दो चार फिल्मों में छिटपुट करेक्टर रोल किये और 2012 में शनि-मंगल दशा में उनका देहावसान हो गया. यहाँ भी शनि-मंगल समसप्तम सम्बन्ध में ही हैं. इसे अपोजिशन मान कर चलना चाहिए.