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भगवद्गीता में मनुष्यों के गुण स्वभाव के अनुसार दो विभाग किया गया है – दैवी और आसुरी लेकिन तीन प्रकार की कटेगरी बताई गई है. सृष्टि त्रिगुणात्मक है इसलिए सभी जीव जन्तु भी त्रिगुणात्मक हैं. कुछ जीव सौम्य गुण वालें हैं तो कुछ जहरीले हैं. इसी प्रकार मनुष्यों की प्रकृति है. ज्योतिष में बताया गया है कि जन्मकुंडली में राशियों, शुभ या पाप ग्रहों के प्रभाव के अनुसार मनुष्य का चरित्र होता है. ग्रह और राशियाँ भी त्रिगुणात्मक होती हैं.

ब्राह्मणों में भी तीन कटेगरी है -सत्वगुण प्रधान ब्राह्मण , रजोगुण प्रधान ब्राह्मण और तमोगुणी ब्राह्मण. सत्वगुण प्रधान ब्राह्मण सर्वशास्त्र विशारद होता है, वह श्रुतियों के अर्थ यथार्थ ज्ञाता होता है और गुरु होता है. इसके विपरीत तमोगुणी ब्राह्मण होते हैं. देवी भागवत में कहा गया है –
तामसा: क्रोधसंयुक्ता रागद्वेषपरा: पुन:
राज्ञां कर्मकरा नित्यं किंचित अध्ययने रता
तामसी प्रकृति के आसुरी बुद्धि वाले वे ब्राह्मण है जो राजा/ राजनेता के कर्मचारी के रूप में काम करते हैं. ये क्रोध,द्वेष,घृणा में ही रहते हैं शायद ही कभी शास्त्र पढ़ते हैं.

ये तामसिक ब्राह्मण ही इस समय सबसे बड़े आतंकवादी हैं. ये मोदी समर्थक हैं और अधर्म करने वाले हैं. ये असत साहित्य को पढने वाले पुजारी ज्यादातर अधर्मी होते हैं और क्रोध, घृणा, विद्वेष में ही रहते हैं, इन्हें धर्म का कोई ज्ञान नहीं होता. एक विधर्मी जो पूर्व में इंजीनियर बनकर विदेश में म्लेच्छों की सेवा करने गया था वह वापस आकर घृणा की राजनीति का हिस्सा बन गया. यह नरसिंहानंद गिरी नाम से उत्तर प्रदेश में आरएसएस द्वारा प्रसिद्ध किया गया. यह असुर नरसिंहानंद गिरी अक्सर सिर काटने या सर्वनाश के लिए महायज्ञ में गोला छोड़ने का प्रपंच करता है.

मध्ययुग में ये राजाओं के चप्पल उठाते थे और जूता भी खाते रहते थे. पुराण में वर्णन है कि यादव वंशी राजा बलराम ने एक साधु को जान से मार दिया था क्योंकि वह जयकार करने वालों में शरीक था लेकिन उसने उसे पियक्कड़ कह दिया था. दूसरे पुराणों में लिखा है इनको दान इत्यादि भी नहीं देना चाहिए, इनसे यज्ञ पूजन कराने से कुल का नाश होता है.