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राम नवमी का पर्व भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में सम्पूर्ण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. रामायण के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. राम का नवमी तिथि में जन्म के कारण इस दिन को रामनवमी कहते हैं. वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में इस दिन ही श्रीराम ने असुरों का संहार करने के लिए जन्म लिया था. वाल्मीकि रामायण में श्री राम की कुंडली का सम्पूर्ण वर्णन किया गया है. उनके जन्म के समय सभी ग्रह अपने उच्च राशि में स्थित थे. लग्न में बृहस्पति और चन्द्रमा राजयोगकारक बन कर स्थित थे और मंगल सप्तम भाव मकर राशि में उच्च का होकर स्थित था. शनि चौथे भाव में उच्च का था जबकि शुक्र नवम भाव में उच्च का होकर स्थित था. उनकी जन्म कुंडली में राज्य भाव में सूर्य देव उच्च का होकर स्थित थे.

राम चरित मानस के बाल कांड में वर्णित इस चौपाई “नौमी तिथि मधु मास पुनीता, सुकुल पच्छ अभिजित हरि प्रीता, मध्य दिवस अति सीत न घामा पावन काल लोक विश्रामा” में गोस्वामी तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म के समय उल्लेख किया है. गोस्वामी जी ने रामचरितमानस में श्रीराम के जन्म का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है-
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता॥

निर्णय सिन्धु नामक ग्रन्थ में भी श्री राम का जन्म चैत्र नवमी, कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में बताया गया है.
चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।
उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥
मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।
आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥
श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में पुनर्वसु नक्षत्र में तथा अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. रामनवमी का पर्व चैत्र मास की नवरात्रि के आखिरी दिन होता है.  इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन होता है. हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा अर्चना की जाती है और उत्सव मनाया जाता है. राम नवमी का पर्व इस साल 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक है. हालांकि, उदया तिथि के मुताबिक पूरे देश में यह पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा.

रामनवमी का मुहूर्त –

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के मुताबिक, राम नवमी का पर्व 17 अप्रैल, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. इस बार रामनवमी पर लग्न में स्वग्रही चंद्रमा का होना शुभ है. प्रातः पुष्य नक्षत्र और इसके बाद अश्लेषा नक्षत्र होगा जबकि अभिजित मुहूर्त नहीं रहेगा. ऐसे में 11 बजे के बाद शुभ योग में पूजा कर सकते हैं.
पूजा का मुहूर्त -सुबह 11 बजकर 33 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा