
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि सबसे शुभ तिथि मानी जाती है. यह चन्दमा शासित तिथि है और देवताओं की तिथि कही गई है. इस दिन देवता चन्द्रमंडल से सोमपान करते हैं. देवताओं की तिथि होने के कारण ही पूर्णिमा देव पूजन की तिथि है. पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है. माघ और कार्तिक महीने की पूर्णिमा सभी पूर्णिमा में विशेष महत्व रखती है. माघ महीना पुण्यस्नान का महिना है, इस महीने में स्नान मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है. पवित्र नदियों में स्नान से इस दिन विशेष पुण्य संचय होता है. माघ महीने में कुम्भ में स्नान और दान करने का माहत्म्य शास्त्रों में बताया गया. भगवद्गीता में कहा गया है कि दान आदि पुण्य किसी शुभ तीर्थ और शुभ काल में करने से ही फलदायक होते हैं.
माघ पूर्णिमा मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6.55 बजे शुरू होगी. यह तिथि 12 फरवरी की शाम 07.22 बजे खत्म होगी. उदया तिथि के अनुसार 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जाएगी. माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह तिथि शुभ है और पर्व तिथि है इसलिए किसी भी समय स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5.19 से 6.10 बजे तक है. सायंकाल का समय 6.07 बजे तक है. अमृत काल शाम 5.55 बजे से 7.35 बजे तक चलेगी.
माघ पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए और लक्ष्मी पूजन, शिव पूजन या विष्णु पूजन करना चाहिए. इस दिन दान करने और गरीबों को भोजन कराने से अनंत पुन्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भोजन, कपड़े, घी, फल, तिल और गुड़ का दान करना चाहिए. इस पूर्णिमा के साथ ही कल्पवास खत्म हो जाता है और कुम्भ का भी अंत होने लगता है.