होली भाई दूज का पौराणिक पर्व भाई-बहनों के प्रेम को बढ़ाने वाला पर्व माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की दूज को भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे. भाई के आने पर बहन यमुना ने उनका बड़ा भव्य स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक इत्यादि लगा कर उनका पूजन किया था और उन्हें मधुर भोजन, मिठाई इत्यादि खिलाई थी. भगवान यम अपनी बहन के आतिथ्य से बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने यह वरदान दिया की जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक लगवाएगा, उसे लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा. भाई बहनों का यह पर्व भी रक्षा बंधन की तरह बंधन और प्यार का प्रतीक है. यह चैत्र कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व की एक कथा में बहन भाई की रक्षा करती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह पर्व 27 मार्च को मनाया जाएगा.
होली की भाई दूज पर अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण देकर बुलाएँ और प्रेम पूर्वक स्वागत कर उन्हें आसन पर बैठाएं. भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में करवा कर कुमकुम से तिलक करके चावल लगाएं. भाई को हाथों में नारियल देकर सभी देवी-देवता से उसकी सुख, समृद्धि दीर्घायु की कामना करें. भाई बहन को उपहार प्रदान कर उससे विविध भोज्य पदार्थ खिलाये और प्रसन्नता पूर्वक विदा करे.
शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च, 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 27 मार्च, 2024 शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार 27 मार्च को होली भाई दूज मनाया जाएगा. 27 मार्च को भाई को टीका करने के लिए  मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक तथा दोपहर 3 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 04 मिनट तक है.
होली भाई दूज की कथा-
इस कथा के अनुसार एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी. बुढ़िया ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी. एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दिया. बुढ़िया का बेटा बहन के घर के रास्ते में एक जंगल से गुजरा जहां उसे एक नदी मिली, उस नदी ने बोला- “मैं तेरा काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी”. इस पर बुढ़िया का बेटा बोला -“पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना”. इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला, शेर भी उसके प्राण का दुश्मन था, बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा. इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप से भी यही कहा. जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है. उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है और जब उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज नहीं सुनती है. लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर दुखी मन से चल देता है. इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है. इस पर बहन कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है. इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है. इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुम्हें घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है. इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है. उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है. उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है. जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है. जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है. इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है.

