नवरात्रि हिंदु धर्म का सबसे लम्बा पर्व है. यह पर्व शक्ति पूजा का अबसे प्राचीन पर्व है जिसमें नौ रात्रियों में साधक व्रत रखते हुए शक्ति/देवी की पूजा-आराधना करते हैं. रात्रि ह्रींकार और रयि रूप है इसलिए यह शक्ति पूजा के लिए प्रशस्त है. एक साल में चार बार नवरात्रि आते हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन महीने में पड़ते हैं. इनमें से माघ और आषाढ़ में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. चैत्र मास में वासंतिक अथवा वासंतीय और दूसरा अश्विन मास में शारदीय नवरात्र होती है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों के पूजा-उपासना बेहद खास मानी जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से मां भगवती अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करती हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि और खुशहाली से भर देती हैं. चैत्र महीना चल रहा है, इस महीने के कृष्ण पक्ष के खत्म होते ही चैत्र की शुक्ल्र प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारम्भ हो जाएगा. जान लीजिये कब है चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और घटस्थापना का समय…
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त –
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होगा और 17 अप्रैल को समाप्त रामनवमी पर खत्म होगा. इस बार नवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई शुभ योग रहेंगे.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त :
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शास्त्रीय विधान है. कलश स्थापना के बिना नवरात्रि का अनुष्ठान नहीं किया जाता है. पूर्व काल में मूर्ति पूजा नहीं थी, कलश में ही प्रमुख देवता के साथ देवताओं का अवाहन कर पूजन सम्पन्न किया जाता था.. पंचांग के अनुसार, सुबह 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक बताया जा रहा है लेकिन 9 अप्रैल को सुबह 7:30 के बाद शुभ मुहूर्त होंगे. चन्द्रमा 7:30 तक गंडमूल नक्षत्र में रहेगा तदन्तर अश्विनी नक्षत्र में होगा. 7:35 सुबह से 10 बजकर 28 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं. अभिजित मुहूर्त 11:57 से 12:48 तक रहेगा इसमें भी प्रशस्त लग्न में कलश स्थापना कर सकते हैं.

