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साल में 12 चान्द्र मास की अमावस्या होती है और सभी महत्वपूर्ण होती हैं. लेकिन कुछ महीनों में विशेष वार को पड़ने वाली अमावस्या विशेष हैं जैसे सोमवती अमावस्या और भौमवती अमावस्या. चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है लेकिन यह मंगलवार के योग से विशेष भूतड़ी अमावस्या बन जाती है. वैदिक ज्योतिष में मंगल इसका कारक है. इस अमावस्या में तांत्रिक विधि से भूतादि सिद्धि भी की जाती है. यदि यह अमावस्या मंगलवार को पड़ती है तब यह प्रेतात्माओं के लिए ख़ास अमावस्या होती है. यह अश्विन महीने की भूत चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी की तरह होती है. पश्चिम बंगाल में भूत चतुर्दशी के दिन प्रेतात्माओं को लैम्प या दिया जलाकर बुलाया जाता है और उन्हें भोगादी प्रदान किया जाता है. भूतड़ी अमावस्या के दिन नकरात्मक शक्तियां उग्र हो जाती हैं. अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए लोगों के शरीर को अधिगृहित करती हैं या अपना शिकार बनाती हैं. प्रेतात्माओं और अन्य नकरात्मक शक्तियों की उग्रता को शांत करने के लिए शास्त्रों में इस दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है. इस अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण एवं व्रत और पूजा का भी विधान है. भौमवती अमावस्या को कर्ज से मुक्ति पाने के लिए भी शुभ माना जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन पूर्वज अपने वंशजों के घर पधारते हैं इसलिए उन्हें भोजन कराना चाहिए अर्थात उनके निमित्त भोग अर्पण करना चाहिए. ऐसा करने से उन आत्माओं को शांति प्राप्त होती है.

इस दिन उजैन के सोमेश्वर महादेव में पूजन तथा सोमकुंड और शिप्रा नहीं में स्नान किया जाता है. माना जाता है कि इससे जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के दोष समाप्त हो जाते हैं. शिप्रा नदी पर बने बावन कुंड में भी भूतड़ी अमावस्या पर बाहरी भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोग स्नान करते हैं.

भूतड़ी अमावस्या मुहूर्त-

इस बार चैत्र की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा. पंचांग के अनुसार, अमावस्या की तिथि 8 अप्रैल, सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा. इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. पंचांग के अनुसार चैत्र अमावस्या की शुरुआत 8 अप्रैल 2024, सुबह 03.21 होगी और इसका समापन 8 अप्रैल 2024 को रात 11.50 मिनट पर होगा. स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त – सुबह 04.32 – सुबह 05.18 तक रहेगा और श्राद्ध समय – सुबह 11.58 – दोपहर 12.48.

भूतड़ी अमावस्या के दिन पितरों के लिए विशेष रूप से श्राद्ध एवं तर्पण आदि करें या करवाएं. भूतड़ी अमावस्या पर लोगों को कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. इस दिन नदी किनारे बिना किसी खास काम के न जाएं. बच्चों को घर से बाहर न जाने दें. महिलाएं बाल खुले रखकर घर के बाहर न निकलें. इस दिन शराब या मांसाहार लेकर इधर-उधर न जाएं. श्मशान के निकट से न गुजरें. कोई ऐसा कार्य न करें जिससे प्रेतात्माएं आकर्षित हों. इस दिन रात्रि में सम्भोग न करें. इस बार भूतड़ी अमावस्या सोमवार को पड़ रही है और सूर्यग्रहण भी साथ ही पड़ रहा है, ऐसे में यह अमावस्या तांत्रिक कर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है.