हिंदू धर्म में वैष्णवों के लिए एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. वैष्णव मानते हैं कि ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामना पूरी करते हैं. हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. अजा एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली कही गई है. जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करता है उसको सभी सुख और वैकुंठ की प्राप्ति होती है. सत्यवादी राजा हरिशचंद्र पर किसी पाप अथवा अपराध के करण जब शनि दशा का प्रकोप हुआ तो वे भिखारी बन गये, उनका सब खत्म हो गया(घर- बाल-बच्चे) और वे’ चंडाल बन कर श्मशान में मृतकों का वस्त्र ग्रहण करने लगे. राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य का साथ नहीं छोड़ा. एकदिन गौतम ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी की कथा सुनाई और महात्म्य बताते हुए कहा कि ‘हे राजन! तुम अजा एकादशी का व्रत करो, इससे तुम्हारे पापों का नाश होकर शांति होगी.” राजा हरिश्चन्द्र ने अजा एकादशी का विधिपूर्व व्रत सम्पन्न किया. व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गये और उनका मृतक पुत्र जिन्दा हो गया. उन्होंने अपनी पत्नी को भी पुन: प्राप्त कर लिया. अजा का अर्थ है जिसका जन्म नहीं होता, ईश्वर की माया को ही अजा कहते हैं. अज (विष्णु) और अजा ( लक्ष्मी) अर्थात दोनों ही अजन्मा हैं और अनादि हैं. अजा एकादशी का व्रत से मुक्ति और भुक्ति दोनों की प्राप्त होती है.
इस साल 10 सितंबर 2023, बुधवार को अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
अजा एकादशी शुभ मुहूर्त 2023-
एकादशी तिथि 09 सितंबर को शाम 07 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर को रात 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी।
अजा एकादशी व्रत पारण का समय-
अजा एकादशी व्रत का पारण 11 सितंबर को किया जाएगा। व्रत का पारण 11 सितंबर को सुबह 06 बजकर 04 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय रात 11 बजकर 52 मिनट है।

