
The heart of the wise is in the house of mourning; but the heart of fools is in the house of mirth. -Ecclesiastes 7:4
भारतीय ज्योतिष में दिशाएं, राज्य, देशों और महाद्वीपों के शासक ग्रहों और नक्षत्रों का वर्णन किया गया है. हर देश राशि चक्र के किसी खंड का हिस्सा है. हर देश किसी न किसी ग्रह द्वारा शासित है. हर देश का कोई न कोई नक्षत्रों का वर्ग शासक है. वैदिक ज्योतिष में उदाहरण के लिए पश्चिम दिशा की राशियां मिथुन, तुला और कुम्भ हैं. ज्योतिष के इस विषय पर अलग से किसी लेख में समय मिलने पर लिखा जायेगा. फ़िलहाल ये समझे कि पश्चिम दिशा का वास्तविक शासक शनि है. लेकिन तीन राशियों के अनुसार पश्चिम जगत पर बुध, शुक्र और शनि का सम्मिलित गहरा प्रभाव है, इसमें भी शनि का प्रभाव विशेष रूप से दृष्टिगोचर होता है. बुध से पश्चिम में रेशनलिज्म और तकनीकी विकास हुआ और शुक्र के कारण भोग की संस्कृति है. पश्चिम की सोच और दार्शनिकता की तुलना ऐसे गिद्ध से की गई है जिसकी दृष्टि सदैव कंकाल पर रहती है. वेदों के अनुसार आर्यावर्त से पृथ्वी का पश्चिमी भाग असुरों और दैत्यों की भूमि है क्योंकि इस भाग में सूर्य कम समय के लिए चमकता है और कम प्रकाश प्रदान करता है. पश्चिम के देश जहाँ ईसाईयत का जन्म हुआ और जहाँ ईसायत विशेष रूप से विकसित हुई, वहां सूर्य का प्रकाश कम है. जैसे जर्मनी में सूर्य दिन में 4-5 घंटे ही प्रकाश देता है और इजराइल में 9 घंटे या कुछ अधिक रहता है. यहाँ दिन में भी प्रकाश कम रहता है, दिन कम तथा रात्रि अधिक है इसलिए अँधेरे की शक्तियों का और शनि जैसे डार्क प्लैनेट्स का गहरा प्रभाव है.
यहूदी(Jews) शनि को इजराइल का ग्रह मानते हैं और उनका सेबथ (Sabbath) शनिवार को ही होता है. भारत में एक शनिवार तेली यहूदी भी मिलते हैं. यहूदियों के ग्रंथ तालमुद के अनुसार “शाबाताई” अर्थात शनि, सेबथ और यहूदियों का स्टार है. यहूदी (JEWS) के पुरोहित “रब्बी” भी शनि को इजराइल और यहूदी धर्म का ग्रह मानते हैं. यहूदियों के ऐतिहासिक दुःख का कारण भी शनि ही है क्योंकि शनि मूलभूत रूप से दुःख कारक है. जीसस क्राईस्ट की जन्म कुंडली में शनि बहुत प्रभावी रहा होगा इसलिए उन्होंने पीड़ा का आध्यात्मिकीकरण किया और एक दुःखपूर्ण, पाप केअपराध-बोध से ग्रस्त (guilt) धर्म अस्तित्व में आ गया. ईसायत को आप religion of guilt कह सकते हैं. बाईबिल का यह दर्शन “The heart of the wise is in the house of mourning; but the heart of fools is in the house of mirth” उनके सम्पूर्ण जीवन पर प्रभावी रहा है. शनि मृत्यु, श्मशान, दुःख, पीड़ा, पर पीड़ा में सुख खोजने वाला, क्रूर, विषाद (melancholia), उदासी इत्यादि का ग्रह है. पश्चिम के चिन्तन और दर्शन, कविता, कला तथा संस्कृति में मृत्यु, विषाद, पीड़ा, शैतानवाद (Satanism) ये प्रभावी रहे हैं. ईसाईयों का हेलोवीन (Halloween) पार्टी, मौजमस्ती का उत्सव जैसा है लेकिन वास्तव में इसमें भूत-प्रेतादि शनि के प्रभाव के कारण ही है और यह प्रभाव अक्सर इसे खतरनाक बना देता है. इस जश्न में ही बलात्कार और हत्याएं होती रही हैं. ईसाईयों का शायद ही कोई हेलोवीन ऐसा बीतता है जिसमे कोई हॉरर स्टोरी न बनती रही हो. हेलोवीन हॉरर पर अनेक फ़िल्में भी बन चुकी हैं.

शैतानवाद (Satanism) अब ईसाईयत का प्रमुख धर्म बन गया है. शैतानवाद (Satanism) का इतना गहरा प्रभाव है कि अमेरिका में अकेले हर वर्ष हजारों बच्चों को शैतानी रिचुअल में मार देते हैं. अमेरिका में एक दौर तो शैतानवाद (Satanism) का ऐसा भी आया था जिसमे 12000 बच्चे शैतान द्वारा खा लिए गये थे. इसको शैतानी पैनिक के रूप में जाना जाता है. पश्चिम में रोमानिया एक अंधरे का देश है जहाँ सूर्य का प्रकाश 6-7 घंटे ही रहता है, इस देश पर शनि का गहरा प्रभाव होने से रक्त पीने वाले डैकुला की उत्पत्ति हुई. वैदिक धर्म में “सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च “ ऐसे ही तो नहीं कहा गया है? सूर्य प्राकृतिक आत्मकारक है. जब सूर्य अच्छा होता है तो मनुष्य के जीवन में प्रकाश होता है और दैवी शक्तियाँ उनमें कार्य करती हैं. जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता वहां -सांप, छछुंदर, बिच्छू, चमगादड़, भूत, पिसाच, प्रेत, दुरात्मायें रहती हैं. जहाँ प्रकाश रहता है वहां देवता रहते हैं. वैदिक काल से हिन्दूओं में घर के कोने कोने में दीपक दिखाने की परम्परा है “तमसो मा ज्योतिर्गमय.”
पश्चिम जगत के दर्शन, कला और साहित्य पर शनि की विशेष ईविल दृष्टि रही है. आधुनिकता को जन्म देने वाले फ़्रांसिसी दार्शनिक जार्ज विलहेम फ्रेड्रिक “हेगेल” ने अपने दर्शन की उच्चतम स्थिति में बौधिक चिन्तन को रसातल में ही देखा, जहाँ घोर ‘रात्रि’ है और यह रात्रि घोर चिन्तन की रात्रि है. (night of mere reflection). यह उसके प्रसिद्ध दार्शनिक वाक्य में प्रकट हुआ “The owl of Minerva spreads its wings only with the falling of dusk”. यदपि की हेगेल एक आदर्शवादी चिंतक माने जाते हैं लेकिन वे मूलभूत रूप भौतिकवादी ही थे, उनकी बौधिक (रीजन) की उड़ान उसी गिद्ध की तरह थी जिसकी दृष्टि कंकाल पर रहती है. हेगेल भौतिकवादी थे बस सिर के बल खड़े थे, जिसे कार्ल मार्क्स ने सीधा कर दिया था. हेगेल का दर्शन शनि से गहरे प्रभावित था और यह नाटकीय ढंग से गोथे के “फाउस्ट Faust” में प्रकट हुआ. गोथे के Faust से जर्मन नाजी गहरे प्रभावित हुए थे और ईसाई शैतानवाद (Satanism) भी गहरे प्रभावित हुआ. शनि प्रभावित पश्चिम के सैकड़ों साहित्यकार, दार्शनिक गिनाये जा सकते हैं. ये बिल में रहने वाले पाताल के वही पौराणिक दैत्य हैं.
इसमें संदेह नहीं कि शनि ईसाईयों के जीवन को गहरे प्रभावित करता है और इसकी क्रूरता भी उनके भीतर उतनी ही है. पश्चिमी देशो की महिलाओं में जो क्रूरता है वो दुनिया में किसी देश में देखने को नहीं मिलती. शनि का प्रभाव इतना गहरा हुआ कि शैतान वेटिकन में ही रहने लगा. पिछले पचास सालों में अनेक शैतानियत की खबरें वेटिकन से दुनिया के सामने आई हैं. पश्चिम जगत के इतिहास में उनका मध्ययुग बहुत क्रूरता का युग रहा. शनि के गहरे प्रभाव में सम्पूर्ण ईसाईयत डायनों और शैतानों से अतिक्रांत थी. ईसाई पादरियों और सामंतों के इस युग में हजारों की संख्या में डायनों को जलाया जाता था, शैतानों से सारे जेल भरे हुए थे और मानसिक उन्माद, पागलपन के कारण पागलखाने भी कम पड़ जाते थे. ईसाई पादरियों में गोथे का Mephistopheles रहता है. ईसाईयों ने विश्व भर में गरीब जातियों को ईसाई धर्म में अपनी शैतानियत द्वारा ही ईसाई बनाया है, हिन्दू धर्म की तरह नहीं जिसको विश्व भर में लोगों ने स्वेच्छा से स्वीकार किया है.
शनि निर्दयी और क्रूर है लेकिन यह बड़ा धन संग्रही होता है इसलिए दुनिया में सबसे ज्यादा धन संग्रह करने वाले पश्चिम के दस-बीस मनुष्य हैं. भारत में गुजरात शनि प्रदेश है इसलिए गुजरात में कुछ लोगों ने भारत का सारा धन केन्द्रित कर लिया है. शनि तेल और गैस का शासक है इसलिए पश्चिम में रूस इत्यादि देश इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं और अमेरिका ने तेल के लिए दो दो युद्ध तक किया है. भारत का सारा तेल और गैस दो तीन गुजरातियों के कब्जे में हैं. दोनों गुजराती शनि हैं. शनि की क्रूरता पश्चिम में कई स्तर पर प्रकट हुई है. पश्चिम दुनिया का कत्लगाह बन कर सामने आया है. विगत 100 वर्षों में पश्चिम जगत में कुछ बड़े दानव उत्पन्न हुए थे – हिटलर, स्टालिन, जार्ज बुश, सद्दाम हुसैन, ब्लादिमीर पुतिन. ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनके कारण कमसे 60 लाख से ज्यादा लोग मारे गये हैं. शनि का मृत्यु और श्मशान पर अधिकार है. शनि शासित जर्मनी को हिटलर ने श्मशान में तब्दील कर दिया था. हिटलर ने नाजी कैम्प शैतानों द्वारा नियंत्रित बड़े बड़े श्मशान ही थे, जहाँ यहूदियों को चिमनी से घुएं में उड़ा दिया गया था. मजेदार बात ये हैं कि हिटलर तुला लग्न में पैदा हुआ था जिसमे शनि योगकारक होता है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि यदि शनि योगकारक हो तो जरूरी नहीं कि सब कुछ शुभ ही हो, यह निसर्गत: पापी और अशुभ ग्रह है इसलिए कर्मानुसार अपने मौलिक चरित्र को पूर्णरूपेण प्रकट कर सकता है. यह समय चक्र पर निर्भर करता है.