जूनागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 22 किमी दूर, तालुका भेसन के विशद (विशाल) हड़मतिया गांव इन दिनों काफी चर्चा में है. वर्षों से जातिगत भेदभाव का दंश झेल रहे इस गांव के सभी 75 दलित परिवारों ने एक साथ हिन्दू धर्म का परित्याग कर विधिवत दीक्षा ग्रहण कर बौद्ध धम्म को स्वीकार कर लिया. विशद हड़मतिया की पहचान अब भारत के ऐसे गांव के तौर पर हो गई है जहां सभी अनुसूचित जाति के लोग बौद्ध धर्मी हैं. यहाँ एक भी हिन्दू नहीं है. गौरतलब है कि गुजरात पर हिंदुत्व-मोदी का पिछले 29 साल से शासन है. नरेंद्र मोदी के समय से अब तब सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन इसी राज्य में हुआ है.
इस गाँव दलित बौद्ध धर्मावलंबियों ने अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं की पालना का संकल्प लिया है जिनमें सभी के साथ समता, समानता, करुणा और बंधुत्व का व्यवहार, जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने, नशे और आडंबरों दूर रहकर जीवन यापन करने को प्रधानता दी गई है.
धम्म दीक्षा ग्रहण करने के बाद नव-बौद्ध लोगों के जीवन में हिन्दू रीति रिवाजों, पर्व त्योहारों, आस्थाओं और कर्म कांडों के लिए कोई भी स्थान नहीं रह गया है. इनकी बस्ती में भजन कीर्तन की बजाय अब बुद्ध वंदना के स्वर सुनाई देते हैं.
इस गांव की आबादी 2500 के लगभग है जिनमें अनुसूचित जाति के 75 परिवारों के 500 सदस्य हैं. कुछ जनजाति के लोग भी हैं जिनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है. साक्षरता दर करीब 75 फीसदी है और अधिकांश लोग खेती बाड़ी और मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं.

