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तमाशेबाज राजा के खिलाफ बोलने का ऐसा साहस सिर्फ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पीठ पर विराजमान शंकराचार्य ही कर सकते हैं ..ऐसे महात्माओं के प्रति मेरा बहुत सम्मान है ..