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विनायक ग्रह भी एक प्रकार का ग्रह है जो गणेश से सम्बन्धित है अथवा विनायक ही गणेश है. कर्मों में विघ्न डालने के लिए त्रिदेवों ने गणेश को गणों के अधिपति के रूप प्रतिष्ठित किया था. विनायक का काम विघ्न उपस्थित करना है. विघ्न उपस्थित करने के कारण ही गणेश की पहले पूजा कर ली जाती है. विनायक ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के कुछ निश्चित चिन्ह शास्त्रों में बताये गये हैं.

जो व्यक्ति विनायक से ग्रसित है वह सपने में बहुत स्नान करता है, वह गहरे जल में रहने का इच्छुक होता है, जल में खुद को डूबता देखता है, वह मुंड मुडाये मनुष्यों को देखता है, कच्चे मांस खाने वाले गिद्ध, सियार, सिंह आदि पशुओं के पीठ पर चढ़ता है. जाग्रत अवस्था में भी वह देखता है कि शत्रु उसका पीछा कर रहा है, उसके सब काम निष्फल होते है, जो काम शुरू करता है उसमे विघ्न आते हैं, वह पैरो से धुल उड़ाते हुए चलता है. यह व्यक्ति दांत किटकिटाता है.

विनायक द्वारा पीड़ित कन्या को पुरुष की प्राप्ति नहीं होती और विवाहिता स्त्री को सन्तान नहीं होती. श्रोत्रिय ब्राह्मण बन कर भी आचार्य पद नहीं पाता, विद्या अध्ययन में विघ्न आते है. राजा का पुत्र होकर भी राज सत्ता पर आरुढ़ नहीं हो पाता. व्यापार में सिर्फ हानि ही होती है अर्थात हर प्रकार विघ्न ही उपस्थित होते रहते है.

जिन मनुष्यों पर विनायक सवार हो उसके लिए निम्नलिखित उपाय हैं –
ऐसे पुरुष को विधि पूर्वक स्नान कराना चाहिए. उसके बाद हस्त, पुष्य, अश्विनी, श्रवण या मृगशिरा नक्षत्र में उसे भद्र पीठ पर स्वस्तिवाचन करते हुए बैठना चाहिए. पीली सरसों को थोड़ा भून कर फिर पीस कर घी में मिलाये और उसे उसके सम्पूर्ण शरीर उबटन की तरह लगाये. उदुपरांत उसके मस्तक पर सर्वौषधियों का लेप करे. चार कलश में उन सभी औषधियों को डाले, उसमे अश्वशाला, गजशाला, बाँबी, नदी संगम, और जलाशय से लाई गई पांच प्रकार मिटटी डाले, गोरोचन, गंध, गुग्गुल को मिलाये. तदन्तर वैदिक मन्त्रों से उसका इन कलशों से अभिषेक करे. स्नान की विधि किसी श्रोत्रिय वैदिक ब्राह्मण से पूछे और अभिषेक उस ब्राह्मण से कराएँ. स्नान के बाद वैदिक हवन और देवताओं को बलि दिया जाना अनिवार्य कृत्य है. अंत में ब्राह्मणों को दान और ब्रह्म भोज कराना चाहिए.