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शुक्र ग्रह जिन्हें भृगुपुत्र कहा जाता है उसे प्राकृतिक रूप से सुख-समृद्धि का ग्रह माना गया है. यह प्रेम और सौन्दर्य का ग्रह है, साथ ही धन कारक भी होता है क्योंकि लक्ष्मी ‘श्री’ इनकी बहन हैं. शुक्र आज 18 जनवरी 2024 को 18 बजकर 52 मिनट पर धनु राशि में गोचर करने जा रहा हैं. शुक्र का गोचर रिश्ते और भावनात्मक रूप से जातक को प्रभावित करेगा. शुक्र का गोचर सभी 12 राशियों के जीवन को प्रभावित करता हैं. भारत की वृष लग्न की कुंडली में यह लग्न स्वामी होकर अष्टम भाव में जायेगा और चन्द्र राशि से षष्टम भाव में जाएगा. अष्टमेश बृहस्पति की द्वादश भाव से शुक्र पर पूर्ण दृष्टि होगी..

धनु बृहस्पति द्वारा शासित अग्नि तत्व की राशि है और शुक्र के लिए अच्छी राशि नहीं मानी जाती है. शुक्र का यह गोचर राशि के अनुसार अलग अलग फल करेगा. इस गोचर के परिणामस्वरूप जातक के प्रेम जीवन में रोमांच और प्रेम में राशि के अनुसार वृद्धि करेगा या हानि करेगा. सभी गोचर प्रमुख रूप से चन्दमा के स्थिति के अनुसार ही फल करते हैं और चन्द्रमा के अनुसार ही ग्रहों का फल बताने की प्राचीन परम्परा है क्योंकि चन्द्रमा ही फलभोग कराता है और सुख कारक भी है. यदि गोचर में शुक्र चन्द्रमा से षष्टम या सप्तम स्थान में गोचर करे तो अशुभ होता है. जन्म राशि से भी यही फल होता है और मुण्‍डेन ज्‍योतिष में भी यही फल कहा गया है. कहा गया है कि “षष्टो भृगु: परिभवगतापद: स्त्रीहेतुकं जनयाति सप्तमोsशुभं” अर्थात चन्द्रमा से छठे घर में शुक्र गोचर हो तो जातक सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर अपमान, रोग और मानसिक कष्ट प्राप्त करता है, वहीं सप्तम में गोचर से स्त्री द्वारा कष्ट की प्राप्ति होती है. भारत की कुंडली के परिप्रेक्ष्य में जबकि मन्दिर प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम की किरकिरी हो चुकी है और नरेंद्र मोदी जो स्वयम्भू बने हुए थे, उन्हें बड़े दबाव के बाद यजमान पद से हटा दिया गया है जो उपरोक्त फल को सही सिद्ध करता है. ऐसे में शुक्र का यह गोचर बहुत कुछ कहता है.

शुक्र को सीता मानें जो लग्न लार्ड भी है. यह शुक्र लग्न से अष्टम जा रहा है और भारत की कुंडली में चन्द्र राशि से छठवें जा रहा है. इस गोचर का फल यह होगा कि मोदी की और भी किरकिरी और अपमान हो सकता है. इस गोचर से सीता का प्रतिनिधित्व करने वाली भारत की नारियां अशास्त्रविहित, शिखरविहीन, अधूरे मन्दिर में राजनीतिक आयोजन करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर नाराज हो सकती हैं. गृहस्थ हिन्दुओं और सन्यासियों का भी मोदी सरकार पर कोप हो सकता है क्योंकि 22 जनवरी को गोचर में पिता सूर्य भी माता चन्द्रमा से अशुभ स्थान में ही है. दिन भर चन्द्रमा से नवम है और चार बजे शाम के बाद अष्टम स्थान में होगा. कहा गया है कि चन्द्र से अष्टम सूर्य पुत्रदोष और परिवार का नाश करता है. चन्द्रमा से नवम सूर्य पिता से दुश्मनी, साधु-महात्माओं से दुश्मनी, एक्सीडेंट, गरीबी और समाजिक सम्मान की हानि करता है. यह फल सबने अनुभव किया है. पुरी शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज को सूर्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है. मन्दिर के अशास्त्रीय प्रतिष्ठा पर बोलने वाले पहले शंकराचार्य यही हैं उसके बाद सभी ने बोलना शुरू किया. प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को सूर्य चन्द्र की स्थिति अशुभ है.

शुक्र एक शुभ ग्रह है, जो रोमांस और भौतिक सुख-सुविधाओं का प्रतीक है. यह ग्रह शुभ हो तो लोगों पर धन, समृद्धि और विलासिता की वर्षा करता है. इस गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव कैसा होगा उसे लग्न और राशि के अनुसार देखें.