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कर्क लग्न में शुक्र अक्सर नवम भाव में बहुत सुख प्रदायक नहीं होता यदपि की नवम भाव में यह उच्च का होता है. कुछ ज्योतिष क्लासिक में नवम भावस्थ शुक्र जातक को मुनि बनाता है, ऐसा कहा गया है. शुक्र भौतिकता का और धन का कारक है ऐसे में उसका धर्म स्थान में उच्च का होना भौतिकता के बावत बहुत अच्छा नहीं है. कर्क लग्न में कुछ स्थितियों में शुक्र तथा बुध राजयोगकारी होते हैं. कर्क लग्न में बुध बहुत अशुभ फल करने वाला ग्रह माना जाता है. शुक्र-बुध की निम्नलिखित स्थितियां कर्क लग्न में लाभकारी होती हैं –

द्वादश भाव में शुक्र होता है शुभ –

कर्क लग्न के लिए शुक्र की मूलत्रिकोण राशि केंद्र में चतुर्थ भाव में पडती है ऐसे में द्वादश स्थित शुक्र अत्यंत सुख प्रदायक बन जाता है. भोगकारक ग्रह को भोग स्थान में होना पारम्परिक ज्योतिष में शुभ माना गया है यदपि कि व्यय भाव में स्थित ग्रह का समग्र फल सिद्धांत: शुभ नहीं हो सकता. फिर भी दशा में शुभ फल तो जातक एन्जॉय करता ही है.

पंचम भाव में बुध-शुक्र युति शुभ-

पंचम भाव में अशुभ अनिष्ट बुध विपरीत राजयोग का निर्माण कर शुक्र के अनुसार साहचर्य से लाभेश का फल देगा ऐसे में शुक्रअंतर्गत बुध की दशा कर्क लग्न के लिए लाभकारी होती है.

एकादश भाव में महाराजा योग –

चन्द्र यदि 11th में बुध और शुक्र से युत हो, गुरु लगन में और राज सत्ता का नैसर्गिक कारक सूर्य दशम भाव में हो तो महान राजयोग होता है. इसको महाराजा योग कहा गया है. यह उत्कृष्ट राजयोग होता है.

द्वादश भाव में शुक्र-बुध युति में राजयोग –

ज्यादातर विद्वानों ने शुक्र को द्वादश भाव में शुभ माना है. यहाँ भोगकारक बुध के साथ धन और लाभकारक कारक शुक्र की युति जातक के लिए अनेक प्रकार से धन लाभ और भोग की प्राप्ति करने वाला होगा. बुध में शुक्र की दशा राजयोग प्रदान करने वाली हो सकती है.

यह सभी स्थितियां कुंडली के अन्याय योगों और ग्रहों की स्थितियों के अनुसार समग्रता में देखना चाहिए. कोई भी योग ज्योतिष की शर्तों की पूरा करने पर ही फलीभूत होते हैं.