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शुक्र सन्तान का प्रमुख कारक माना जाता है. शुक्र ग्रह की स्थिति प्रबल होने से संतान प्राप्ति होती है, इसके दूषित होने पर इसकी सम्भावना क्षीण हो जाती है. शुक्र के दसवें स्थान में हो तब यह वीर्य वंश को क्षीण कर देता है. यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र दसवें में शनि-राहु इत्यादि से युत हो तो वीर्य दूषित हो जाता है. यहाँ यदि शुक्र वंशवीर्य निरुद्ध करता है तो यह ग्रहों के बलबल, शुभ प्रभाव और योगों पर भी निर्भर करता है. कुंडली में यदि योग प्रबल हैं और सन्तान कारक अन्य ग्रह भी शक्तिशाली हैं तो प्रभाव खत्म हो सकता है.
यहाँ तीन कुंडली दी गई है ..

1- शुक्र लग्न और चन्द्रमा से दसवें हो तो व्यक्ति का पब्लिक में अपमान होता है (उसे नीच, धूर्त, ठग कहा जाता है) वह कलह करते हुए प्रतिमाक्षर (teleprompter ) से सामान्य भाषण करता है..कलह भाषण में नियम रहता हैं. लिखा है “च्युत विनय ” अर्थात उसमे विनय नहीं होता.(यह वराहमिहिर ने लिखा है)

2-शुक्र लग्न से दसवे हो तो कलह करके स्त्री से अलग रहता है, उसका वीर्यवंश निरुद्ध हो जाता है अर्थात वह नपुंसक होता है या उसमे वीर्य दोष होता है.

3-शनि के साथ शुक्र दसवे होने से हाउस की स्थिति और खराब हो जाती है. यह व्यक्ति निश्चित रूप से वेश्यागमन करने वाला दुराचारी होता है. शनि के होने से नीचता और बढ़ जाती है और राज्य का धन नाश करता है.

कुंडली नम्बर 1- नरेंद्र मोदी

कुंडली नम्बर -2 सलमान खान

कुंडली नम्बर 3- जयाप्रदा

भारत वासियों को Teleprompter की संस्कृत क्या होती है यह नहीं पता था. Teleprompter को संस्कृत में प्रतिमाक्षर कहते हैं, वराहमिहिर में यही शब्द प्रयोग किया है – “प्रतिमाक्षराण्यपि वदन्”