
ज्योतिष शास्त्र में वर्गोत्तम ग्रह की बड़ी महिमा कही गई है उसमे भी शुभ ग्रह बृहस्पति या नवमेश या दशमेश. लग्नेश के वर्गोत्तम होने की महिमा बताई गई है. बृहस्पति यदि नवमेश होकर वर्गोत्तम हो जैसा कर्क लग्न में होता है तो जातक को राजा बना देता है .

इस श्लोक में कहा गया है कि यदि बृहस्पति मंगल और चन्द्रमा से युत होकर वर्गोत्तम हो या पुष्कर अंश में स्थित हो तो जातक को भूपाल या राजा बना देता है. यदि एक भी शक्तिशाली ग्रह वर्गोत्तम हो, पुष्कर भाग में हो तो कुंडली को अच्छा बना देता है, जातक को बहुत कुछ यूँ हस्तगत हो जाता है. उदाहरण के लिए इंदिरा गांधी की कुंडली है –

इंदिरा गांधी की इस कुंडली में बृहस्पति भाग्येश है और लाभ भाव में वृष राशि में है. नवांश कुंडली में भाग्यभाव की मीन राशि ही उदित है और बृहस्पति वृष राशि में वर्गोत्तम होकर स्थित है. साथ में लाभेश शुक्र धनु राशि में स्थित है और नवांश में यह पुष्करभाग में स्थित हैं. विपक्षी की हानि से इन्हें लाभ मिलता रहा. भाग्येश ने इंदिरागांधी को शक्तिशाली राजयोग दिया और एक शक्तिशाली नेता बना दिया.