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जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान जगन्नाथ अपनी मौसी के यहाँ निवास करते हैं. सात दिन के इस प्रवास में खूब पकवान इत्यादि खाते हैं जिससे बीमार पड़ जाते हैं. भगवान का इलाज किया जाता है जिसके बाद वह दर्शन देते हैं और घर के लिए प्रस्थान करते हैं. यह वैष्णव प्रपंच हर जगह फ़ैल गया और मूर्तियाँ बीमार पड़ने लगीं. इसका ज्योतिषीय पक्ष ये है कि आषाढ़ महीना में ग्रीष्म अयनांत होता है, मौसम का चक्र बदलता है इसलिए यह रोग व्याधि लेकर आता है. उत्तराषाढ़ नक्षत्र से सम्बन्धित यह महीना रोगव्याधि से सम्बन्धित है. यह वर्षा ऋतु का प्रारम्भ है, इस महीने के बाद ही चातुर्मास्य लग जाता है.