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भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं इनकी प्रथम पूजा करने का विधान है. हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा आराधना की जाती है. साल के प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. हिन्दू धर्म के सभी सम्प्रदायों ने अपनी तिथि बना ली है और उस तिथि में वे अपने देवता की पूजा करते हैं. मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति की पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही सभी दुःख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह 1 मई को है. इस अवसर पर भक्त विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से अनिष्ट और विघ्नों का नाश होता है.

गणेश की पूजा बुध दोष के निवारण के लिए भी किया जाता है. गणेश जी दूर्वा का अर्पण करना भी अनेक परेशानियों मुक्त कर देता है. गणेश जी को बुधवार दूर्वा अर्पण करना चाहिए.

चतुर्थी मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर होगी. तिथि का समापन अगले दिन यानी 1 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में विनायक चतुर्थी  का व्रत और पूजन 1 मई को होगा.