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प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. वैष्णवों की एकादशी की तरह ही शैवों का प्रदोष व्रत भी हर महीने में दो बार आता है. पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है, इस तरह से एकादशी की तरह ही साल में कुल प्रदोष व्रत 24 बार होता है. इस बार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 9 मई 2025 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान शंकर शिवलिंग में वास करते हैं, इस दिन जो भी भक्त भगवान शिव की विविध प्रकार से पूजा करता है, उसे धन, सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है. शुक्रवार के दिन पड़ने से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है.

प्रदोष व्रत मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 9 मई शुक्रवार को सुबह 15:46 बजे से शुरू होकर 26 अप्रैल शनिवार को सुबह 17:29 बजे तक रहेगी. शनिवार को तिथि सायं को नहीं रहेगी ऐसे में प्रदोष व्रत 9 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजन करने कि परम्परा है. इस दिन भगवान शिव का इसी काल में पूजन करना चाहिए.