हिंदू पंचांग की तेरहवीं तिथि को त्रयोदशी कहते हैं. यह तिथि मास में दो बार आती है. वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का सोमवार प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा. यह तिथि सोमवार को पड़ने से अत्यंत शुभ हो गई है. हरएक वार के अनुसार प्रदोषव्रत का माहात्म्य है. सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है. भगवान शिव ने चन्द्रमा को शीश पर धारण किया था. पुराण में बताया गया कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया तब उनका शरीर तपने लगा था और उनका मस्तिष्क गर्म हो गया था. तब सभी देवताओं ने उनसे प्रार्थना की कि वह अपने शीश पर चंद्र को धारण करें, ताकि उनके शरीर में शीतलता बनी रहे. देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया. एक अन्य कथा के अनुसार राहु से रक्षा के लिए शिव में चन्द्रमा को सिर पर धारण किया था.
सूर्य के शिव ही देवता हैं इसलिए जन्म कुंडली में नीच सूर्य हो, सूर्य दु:स्थान में हो और सूर्य की खराब महादशा हो तो इस रवि प्रदोष में शिव पूजन आवश्य करना चाहिए. त्रयोदशी तिथि शैव मतानुयायियों की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है और शिव को यह तिथि बहुत प्रिय है. यह तिथि महादेव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है. शैव मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से मनोकामना पूर्ण होती और शिव का सदैव आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष काल में शिव पूजन की अपनी महत्ता है. इस समय पूजन से धन धन्य की वृद्धि और पुष्टि की प्राप्ति होती है. शिव की प्रशस्त तिथि है त्रयोदशी इसलिए इस तिथि में प्रदोष काल में पूजन सर्वश्रेष्ठ है.
वैशाख त्रयोदशी मुहूर्त –
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई को दोपहर 03 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 20 मई को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शिव पूजा के लिए प्रदोष काल 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 12 मिनट तक है.
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए स्नान आदि करने के बाद सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करें. कामनाओं के लिए गुलाबी और पीला वस्त्र अच्छा माना गया है. भगवान शिव को अक्षत खंडित या टूटा हुआ हुआ नहीं चढ़ाएं. सोमवार को दही, सफेद वस्त्र, दूध और शक्कर का दान करना चाहिए. धन के अभाव को दूर करने के लिए सोमवार को शिव का अभिषेक करते हुए मन्त्र पाठ करना चाहिए. सोमवार को अक्षत, चंदन, धतूरा, दूध, गंगा जल और बेलपत्र से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. इससे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

