
वैशाख का महीना दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है. यह पूर्णिमा अत्यंत शुभ है क्योंकि वैशाख पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध अवतरित हुए थे. इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के नौवां अवतार के रूप में गौतम बुद्ध ने जन्म लिया था. गुरु बृहस्पति के विशाखा नक्षत्र में यह पूर्णिमा होती है इसलिए इस पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा कहते हैं. शाक्य क्षत्रिय कुल में जन्मे गौतम बुद्ध ने धर्मचक्र प्रवर्तन किया और नये बौध धर्म की स्थापना की थी. इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा और धम्मपद का पाठ करने से जीवन में सुख और शांति आती है. इस दिन भगवान विष्णु बुद्ध के रूप में ही पूजा करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि कलियुग में भगवान का बौधावतार असुरो को नास्तिक बनाकर उनका विनाश करना था.
वैशाख पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का भी विशेष फल है. इस दिन सबसे ज्यादा महात्म्य दान का है, इस दिन ब्राह्मण, श्रावक, सन्यासी और भिक्षु को दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है.
वैशाख पूर्णिमा तिथि-मुहूर्त –
पंचांग के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा की तिथि 11 मई 2025 को को रात 8 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 12 मई को रात 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. उदयकालीन तिथि के अनुसार मानी जाती है. ऐसे में वैशाख पूर्णिमा का व्रत 12 मई 2025 को रखा जाएगा. चंद्र देव का उदय 12 मई को शाम 5:59 बजे होगा.