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हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण की सप्तमी तिथि को सप्तमी सूर्य देव को समर्पित है लेकिन वैशाख कृष्ण पक्ष की सप्तमी विशेष है. इस सप्तमी को भानु सप्तमी और रथ सप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही पूजा, जप-तप और दान किया जाता है. हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य देव की उपासना करने से साधक को करियर और कारोबार में सफलता मिलती है और साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए भानु सप्तमी पर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा-उपासना करें. सूर्य साक्षात् देवता हैं और वेदमूर्ति हैं. उनकी पूजा से धन धन्य की वृद्धि होती है और स्वास्थ्य लाभ भी होता है. स्वास्थ्य के लिए सूर्य की पूजा का विधान शास्त्रों में किया गया है. भानु सप्तमी रविवार को पड़ने तो यह और भी सिद्धिप्रद हो गई है.

सप्तमी मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 19 अप्रैल को शाम 6:21 बजे प्रारंभ होगी. यह तिथि 20 अप्रैल को शाम 7 बजे समाप्त होगी. इसलिए, उदया तिथि के अनुसार भानु सप्तमी 20 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी.

व्रत के लिए सूर्योदय से पहले नहा लें. लाल या पीले रंग के कपड़े पहने और तांबे के लोटे में शुद्धजल भर लें. उस लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और जौ केव दाने डाल ले. यदि न उपलब्ध हो तो चावल पर्याप्त है. अर्घ्य पात्र में थोड़ा गुड़ भी डालना चाहिए. “ऊं घृणि सूर्याय नम:” या “ॐ आदित्याय नम:” मंत्र बोलें और उगते हुए सूरज को इस लोटे का जल चढ़ाएं. अर्घ्य देते समय ध्यान दें की जल की छींटे अपने पैर पर न पड़े. ऊँचे किसी पीढ़े पर खड़े होकर अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करेंऔर हो सके तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें. सूर्य देव के सामने व्रत करने का संकल्प लें कि आप आज उनकी प्रसन्नता के लिए व्रत करेंगे. पूरे दिन व्रत रखें और फलाहर में नमक न खाएं. व्रत के खोलने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें.