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हिन्दू धर्म में अमावस्या का बहुत ज्यादा महत्व है. यह पितरों की तिथि है इसलिए कृष्ण पक्ष की यह सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. हिन्दू धर्म में पितरों की पूजा की जाती है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होते हैं और पूजकों की मनोकामना पूर्ण होती है. अमावस्या के दिन ही श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए क्योकि इसी दिन पितृगण इसे स्वीकार करते हैं. अमावस्या पर स्नान और दान-पुण्य करने से पुन्य की प्राप्ति होती हैं और जीवन में चली आ रही परेशानियों से भी निजात मिलती है. अमावस्या में दान करना चाहिए, दान एक बहुत बड़ा पुण्य कर्म है और कलियुग में विशेष फलदायक माना गया है. वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना भी पुण्यदायक माना गया है. अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और उसकी 7 बार परिक्रमा कर जल अर्पित करने से अनेक दोषों का निवारण होता है. इस बार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को मनाई जाएगी. यदि कुंडली में पितृदोष है, तो उसे वैशाख अमावस्या के दिन खास उपाय जरूर करने चाहिए. इन उपायों को करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से छुटकारा मिलता है. इस दिन तिल, जौ, कुश और जल से पितरों का तर्पण करना चाहिए.

तिथि मुहूर्त –
पंचाग के अनुसार वैशाख अमावस्या तिथि 27 मई रविवार को सुबह 4:49 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 28 मई को 1.00 बजे होगा. अमावस्या का श्राद्ध आदि दोपहर बाद किया जाता है ऐसे में 27 मई को अमावस्या दोपहर में ही श्राद्ध इत्यादि कर्म किये जायेंगे. उदयातिथि के आधार पर वैशाख अमावस्या तिथि 27 मई रविवार को होगी.