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नरेंद्र मोदी की सरकार दुनिया भर में ठगों की सरकार के रूप में विख्यात हो चुकी है. दस वर्ष मोदी ने जनता को हिन्दू के नाम पर बरगलाया और ठगों, चोरों और लूटपाट करने वालों की सरकार चलाई. हिंदुत्व के धार्मिक उन्माद के पीछे मोदी का ठगों एक बड़ा रैकेट कार्यरत था जिसने घृणा-विद्वेष और धार्मिक हिंसा के बीच करोड़ों की सम्पत्ति बनाई. घृणा की राजनीति इस हद तक गई कि डी-ग्रेड बीफ खाने वाले बॉलीवुड से जुड़े विवेक अग्निहोत्री जैसे धूर्तों ने भी करोड़ो बना लिए. मोदी के शासन में घृणा को भी खुल कर बेचा गया. पतंजली का केस भारत में सरकार से मिलकर व्यापक स्तर पर ठगी का बहुत बड़ा उदाहरण है और यह एतिहासिक है. ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट का उल्लंघन करने के लिए रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के ख़िलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई है. इस एक्ट के तहत पतंजली में 14 उत्पाद पर उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के भारी दबाव के बाद बैन कर दिया है. जिन उत्पादों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं उनमें स्वासारि गोल्ड, स्वासारि वटी, ब्रोंकोम, स्वासारि प्रवाही, स्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आईड्रॉप शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफ़नामे में उत्तराखंड सरकार ने ये जवाब दिया है और कहा है कि रामदेव की पतंजली पर करवाई के आदेश दिए गये हैं. राज्य सरकार की ओर से ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब सुप्रीम कोर्ट में रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण के ख़िलाफ़ अदालत के आदेशों की अवहेलना करने के मामले पर सुनवाई हो रही है. गौरतलब है कि बीते दिनों पतंजलि की ओर से अख़बारों में बिना शर्त माफ़ीनामा सभी न्यूजपेपर में छापवाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की 2022 की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है. पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि से कोर्ट की अवमानना के आरोपों का जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट पतंजलि से जुड़ी दिव्य फार्मेसी के ख़िलाफ़ सुनवाई कर रहा है. इन विज्ञापनों में ब्लड प्रेशर से लेकर, थायरॉयड, जिगर और चमड़े की बीमारियों को पूरी तरह से ठीक होने का दावा किया गया था, साथ ही आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की आलोचना की गई थी. इस मामले में रामदेव और बालकृष्ण दोनों ही कोर्ट के सामने बिना शर्त माफ़ी मांग चुके हैं. गौरतलब है कि अब तक कोरोनिल को कोरोना की दवा कह कर बेचने के मामले में कोई कार्यवाई नहीं हुई, यदि यह कार्यवाई होती है तो रामदेव न केवल ठगी बल्कि जनता के के प्रति किये गये जुर्म के मामले में लम्बी जेल जा सकता है. रामदेव ने कोरोनिल किट 545 रूपये में जनता को बेचीं थी. आंकड़ो के अनुसार पहली खेप 25 करोड़ लोगो ने खरीदी थी.