वाल्मीकि रामायण के बाली वध प्रसंग में बाली के प्रश्नों का श्री राम ने कोई मानवीय जवाब नहीं दिया. वास्तव में बाली ने जो नैतिक और सम्वैधानिक सवाल खड़े किये थे, उन स्वालों का राम द्वारा दिया गया उत्तर प्रज्ञ व्यक्ति का उत्तर नहीं था. उनका उत्तर मनुवादी बल्कि रावडी टाइप बेहूदा उत्तर था. इस नैतिक विमर्श पर कभी विस्तार से लिखा जायेगा. फ़िलहाल यह जानें कि वाल्मीकि रामायण की कथाओं और उसके सच के बारे में आम जनता को ज्यादातर नहीं पता है जबकि वाल्मीकि रामायण ही श्री राम के जीवन चरित का सबसे प्रमाणिक स्रोत है. यह वाल्मीकि रामायण हमें बताता है कि इच्छवाकु वंश के राजा मांसाहार करते थे और मांस का पिंडदान करते थे. यह हमें वाल्मीकि रामायण से ज्ञात होता है कि सीता गंगा की पूजा सहस्रों घट सुरा और मांसौदन से करने का संकल्प लेती हैं. यह हमें रामायण से ज्ञात होता हहै कि राम ने जटायु का श्राद्ध कर्म में मांस पिंड का प्रयोग किया था. बाली वध प्रसंग मनु के नैतिक विमर्श पर बड़े सवाल खड़े करता है. मसलन क्या मनु का नैतिक और सामाजिक नियम पशु साम्राज्य पर भी लागू होता है? बाली ने इस बात को बार बार दोहराया है कि मैं एक बानर जाति का हूँ. हमारा स्वभाव मनुष्यों से अलग है? बाली के बार बार दोहराने पर भी राम उसकी बात नहीं सुनते और मनुष्यों पर जो मनु के नैतिक नियम लागू होते हैं उसी का तर्क देते हैं –
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।
सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई।
ताहि बधें कछु पाप न होई॥”
राम का एकमात्र उद्देश्य मनु के नियम को सब पर एकसमान रूप से लागू करना है क्योंकि महाराज भरत के आदेश से वे आर्य धर्म का प्रचार करने निकले थे. वाल्मीकि रामायण में राम को मूलभूत रूप से ये योद्धा धर्म प्रचारक के रूप में भी प्रख्यापित किया गया है बस बात इतनी है की वे अपनी बुद्धि नहीं लगाते सिर्फ आदेश का पालन करते हैं. रामायण का यह तर्क रामचरित मानस में भी नहीं बदलता? दूसरी तरफ बाली वध में यह ऐतिहासिक बात भी सामने आई है कि राम के समय में भारत पर महाराज भरत का शासन था और राम जैसे अनेक राजा घूम घूम कर धर्म प्रचार कर रहे थे अथवा आर्य धर्म का विस्तार कर रहे थे.
बाली द्वारा पूछे जाने पर कि किस अधिकार से तुमने मुझे दंड दिया ? राम ने जो उत्तर दिया उसमे ये दो श्लोक कुछ नये ऐतिहासिक तथ्य सामने रखते हैं-
1- राम का वनवास एक षड्यंत्र था
2-इस वनवास का प्रयोजन धर्म प्रचार करना था. यह धर्म प्रचार राम की तरह दूसरे अन्य राजा भी कर रहे थे.
3-ये छोटे राजा महाराज भरत के आदेश का पालन कर रहे थे
4- इस धर्म प्रचार में मनुस्मृति को सभी जातियों पर बल पूर्वक लागू किया जाना था.


