Spread the love

बॉलीवुड की बहुप्रसिद्ध अभिनेत्री मीनाकुमारी अपनी अनेक बेहतरीन फिल्मों के लिए जानी जाती हैं.अपनी बीमारी के चरम पर उन्होंने ‘साहेब बीबी और गुलाम’ फिल्म को पूरा किया था और यह सिल्वर जुबिली बनी और इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर का अवार्ड भी मिला. मीनाकुमारी की पाकीजा, काजल, बैजूबावरा, परिणीता, दिल अपना और प्रीत पराई, दिल एक मन्दिर इत्यादि फिल्में क्लासिक हैं.
मीनाकुमारी ने 18 वर्ष की उम्र में 3 बच्चों के पिता कमाल अमरोही से चुपके चुपके निकाह कर लिया था और पिता का घर छोड़ अमरोही के साथ रहने लगी थी. शादी के 5-6 वर्ष बाद कमाल अमरोही ने मीनाकुमारी का त्याग कर दिया था. इस प्रकार त्याज्य मीनाकुमारी बुरी तरह टूट गईं और बहुत बीमार पड़ी. यह बीमारी जानलेवा साबित हुई. 38 वर्ष की अल्पायु में 31 March 1972 को उनका इन्तकाल हो गया. बॉलीवुड में मीनाकुमारी ‘ट्रेजेडी क्वीन’ कही जाती थी. नीचे इनकी कुंडली दी जाती है –

मीनाकुमारी की कुंडली में अल्पायु होने के कुछ मोटे मोटे योग देखते हैं जो किसी पर भी लागू होते हैं. यदि ऐसे योग कुंडली में हों तो जातक अल्पायु या मध्यायु होता है.
1- मीनाकुमारी का जन्म कृष्णचतुर्दशी को हुआ था. कृष्ण चतुर्दशी का जन्म अशुभ माना गया है यदि क्रूर ग्रहों के वार में जन्म हो. लेकिन ज्यादातर मामले में कृष्णचतुर्दशी तिथि ही पूरी अशुभ कही गई है.
2-यदि लग्न लार्ड और अष्टमेश में से एक चर राशि में हो और दूसरा द्विस्वभाव राशि में हो अथवा दोनों ही स्थिर राशि में हों तो जातक अल्पायु होता है
3- यदि लग्न लार्ड और अष्टमेश दोनों ही द्विस्वभाव राशि में हो अथवा एक स्थिर राशि में हो और दूसरा चर राशि में हो तो जातक मध्यायु होता है

वैदिक ज्योतिष में 32 वर्ष को अल्पायु कहा गया है. मीना कुमारी की मृत्यु 38 में हुई इसलिए उनको मध्यायु की श्रेणी में रखना पड़ेगा. मीनाकुमारी की जन्मकुंडली में लग्न लार्ड और अष्टमेश दोनों शुक्र हैं और शुक्र नवम हॉउस में मिथुन राशि में है जो एक द्विस्वभाव राशि है. यह एक योग है जिसके कारण वे मध्यायु रहीं.

दूसरा- कारण ये भी है कि शुक्र अष्टमेश होकर मारक मंगल से युत है. तुला लग्न में मंगल स्ट्रांग मारक होता है.

तीसरा- कृष्णचतुर्दशी का दशमेश चन्द्रमा कमजोर है

चौथा -लग्नेश त्रिकोण भाव में पापान्वित है जो अल्पायु बनाता है

पांचवां- लग्नेश और चन्द्रमा दोनों अंशात्मक दूरी में दो पाप ग्रहों मंगल और सूर्य के बीच हैं.

छठवां – चन्द्रमा से 22वें द्रेष्काण का स्वामी शनि वक्री है और सर्प द्रेष्काण में स्थित आत्मकारक से ओपोजिशन में है.