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हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि विशेष महत्व की मानी जाती है. यह तिथि विशेष रूप से पितरों को समर्पित है इसलिए यह गृहस्थ मनुष्यों के लिए महत्वपूर्ण है. घर में परेशानियाँ, कलह, पुत्र बाधा इत्यादि होने पर अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करना लाभप्रद होता है. अमावस्या के दिन शनि पूजन भी अतिलाभप्रद होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि अमावस्या होती है. इस मार्गशीर्ष माह में 12 दिसंबर मंगलवार के दिन अमावस्या पड़ रही है. मंगलवार को पड़ने के कारण इस अमावस्या को भौमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. भौम मंगल का दूसरा नाम है.

भौमवती अमावस्या के दिन पर स्नान-दान का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है. भौमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान एवं दान का विशेष महत्व है. इस दिन हनुमान जी को मंगल के मन्त्र से गुडहल का फूल अर्पित करने से उनकी कृपा मिलती है. 12 दिसम्बर मंगलवार को सुबह 6:24 मिनट पर अमावस्या शुरू हो जाएगी. इस अमावस्या तिथि पर यदि कुछ विशेष उपाय किए जाए तो व्यक्ति को पितरो का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मुहूर्त –

मार्गशीर्ष की अमावस्या तिथि 12 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ हो रहा है. इसका समापन 13 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर होगा. मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर, मंगलवार के दिन रहेगी.

क्या करें –

भौमवती या मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और इसके बाद दान-दक्षिणा दें और जरूरतमंदों को अपनी क्षमता अनुसार अन्न या वस्त्र का दान करें. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, जिससे व्यक्ति के कार्यों में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती. इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत आदि भी कर सकते हैं. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितरों की तथा शनि की कृपा साथ साथ प्राप्त होती है.