
आषाढ़ महीना की अमावस्या इस बार विशेष है. यह अमावस्या शुक्रवार को पड़ रही है और इसके बाद सूर्य की कर्क संक्रांति है जिसके बाद चातुर्मास का प्रारम्भ हो जाएगा. आषाढ़ माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण देवशयनी एकादशी है क्योंकि इसके बाद भगवान विष्णु वैकुण्ठ में विराजेंगे. हिंदू कैलेंडर में आषाढ़ चौथा महीना होता है. इस पुरे महीने भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है क्योंकि इसके बाद शैव धर्म के लिए समर्पित महीने लग जायेंगे और शिव की पूजा प्रधान रूप से होगी. पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी आषाढ़ मास की अमावस्या महत्वपूर्ण है. सूर्य दक्षिणायन में गोचर करेंगे जो पितरों का अयन है. वैदिक धर्म में अमावस्या तिथि को दान-पुण्य के लिए अच्छा माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, पितरों के निमित्त तर्पण और दान अवश्य करना कर्तव्य है. अमावस्या के दिन किए गए तर्पण से पितरों की प्रसन्नता होती है यदपि की शास्त्रों में प्रत्येक पूजा से पहले पितरों का तर्पण करना नित्यकर्म में कहा गया है.
अमावस्या मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि 24 जून सुबह 6:57 मिनट पर शुरू होगी और 25 को सुबह 4 बजे इस तिथि का समापन होगा. ऐसे में आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 के दिन मनाई जाएगी. इस दिन पितृ पूजन और श्राद्ध आदि दोपहर के बाद किया जाता है.
क्या करें-
1-आषाढ़ अमावस्या पर स्नान-ध्यान करके दक्षिण दिशा में मुखकर काले तिल मिश्रित जल से पितरों को अर्घ्य प्रदान करें और उनका तर्पण करें.
2-इस दिन दान-पुण्य और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की प्रसन्नता होती है. इस दिन किसी गरीब को वस्त्र, फल आदि दान करें
3-आषाढ़ अमावस्या के दिन गाय, कौआ, कुत्ता, चिड़िया के लिए दाना डालें. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
4-अमावस्या के दिन शराब और मांस के सेवन से बचना चाहिए. इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहें.
5-इस दिन अपने ईष्ट देवता का विशेष पूजन अर्चन आवश्य करें और दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाएं
6- आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल की पूजा अत्यंत फलदायक होती है. पीपल में सभी देवताओं और पितरों का वास होता है.