जन्म कुंडली में आधानादि नक्षत्र यदि पीड़ित हों तो उनकी दशाओं में जातक को उनके अनुसार कष्ट मिलता है. ये छह नक्षत्र है- जन्म नक्षत्र, कर्म नक्षत्र, आधान नक्षत्र, वैनाशिक नक्षत्र, सामुदायिक नक्षत्र और संघातिक नक्षत्र। जन्म कुंडली में इन 6 नक्षत्रों का विचार फलादेश में अवश्य करना चाहिए।
जन्म नक्षत्र – जिस नक्षत्र में जन्मकालीन चन्द्रमा हो वह जन्म नक्षत्र है। जन्म नक्षत्र पाप पीड़ित हो तो मरण भय होता है। इस नक्षत्र में शनि गोचर अशुभ फल प्रदान करता है।
कर्म नक्षत्र –जन्म नक्षत्र से दसवां नक्षत्र कर्म नक्षत्र है। कर्म नक्षत्र पीड़ित हो तो रोजगार की समस्या आती है, काम में कष्ट की प्राप्ति होती है।
आधान नक्षत्र- जन्म नक्षत्र से १९वां नक्षत्र होता है। यह नक्षत्र पीड़ित हो आधान काल में कष्ट और प्रवास होता है।
वैनाशिक नक्षत्र- जन्म नक्षत्र स तेइसवां नक्षत्र वैनाशिक नक्षत्र कहा जाता है। जैसा नाम वैसा ही इस नक्षत्र का फल होता है।
सामुदायिक नक्षत्र – जन्म नक्षत्र से १८वां नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में शनि जैसे पाप ग्रह गोचर करें और पीड़ित हो तो सामुदायिक में अनिष्ट होता है।
संघातिक नक्षत्र – जन्म नक्षत्र से १६वां नक्षत्र संघातिक होता है। इसमें पाप ग्रह हो तो बड़ी हानि की सम्भावना होती है।
इसी प्रकार पच्चीसवां नक्षत्र मानस संज्ञक माना गया है। यह पाप पीड़ित हो तो मन को संताप होता है, पीड़ा मिलती है।

