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राम मन्दिर का उद्घाटन हुए महज 3 महीने हुए हैं और नवनिर्मित 18000 करोड़ का मन्दिर की छत चुने लगी है. अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, ‘जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहली ही बारिश में पानी टपकने लगा है, जिसकी जांच होनी चाहिए. यह खबर नरेंद्र मोदी की नियति को बेनकाब करता है. आरएसएस एक फासिस्ट संगठन है जिसने हिंदुत्व के नाम पर हिन्दू समाज को गुमराह किया और बरगलाया. एक फासिस्ट संगठन होने के कारण इनकी मूल विचारधारा नास्तिक है जैसा की सभी फासिस्ट्स पार्टियों की पूर्व में रही है. हिंदुत्व फासिस्ट्स ने हिन्दू धर्म के भगवा वस्त्र, तिलक, चिन्ह, देवता, हनुमान चलीसा इत्यादि का दुरूपयोग हिन्दुओं को सिर्फ बरगलाने के लिए किया. नरेंद्र मोदी का स्वयं हिन्दू धर्म पर विश्वास नहीं है, वह सिर्फ कालनेमि की तरह धर्म का दुरूपयोग करता है अन्यथा कौन ऐसा हिन्दू है जो धर्म का सैकड़ों कैमरे बुलाकर पूजा और ध्यान का ढोंग करता है? अयोध्या राम मन्दिर का रजनीति के लिए भाजपा मोदी ने उपयोग किया और अपूर्ण शिखरविहीन मन्दिर का बिना मुहूर्त के ही उद्घाटन किया. इसका अशुभ फल ये हुआ कि हिंदुत्व किसी तरह चुनाव आयोग की मदद से 240 सीट जीत पाया. अब मन्दिर की छत का बरिश में चुना एक अलग अशुभ फल है, यह हिंदुत्व के भ्रष्टाचार और लूटपाट को उजागर करता है. उधर नवनिर्मित अयोध्या रेलवे स्टेशन की बाउन्ड्री की दीवार भी बारिश की पहली मार नहीं झेल पाई है और धाराधायी हो गई है. तीन महीने में ही अयोध्या का प्रसिद्ध रामपथ के बीच में ब्लैकहोल प्रकट हो गया है. ऐसी लूटपाट क्या कोई आस्तिक व्यक्ति कर सकता है?

अयोध्या राम मन्दिर की भूमि पूजा से लेकर उद्घाटन तक सभी कर्म अशास्त्रविहित किये गये. श्री राम विष्णु के अवतार हैं और भूमि पूजा चातुर्मास में देवशयनी एकादशी को की गई और दैत्यों द्वारा शासित राहु काल में की गई थी. मन्दिर का उद्घाटन भी अशुभ मुहूर्त में और शून्य मास में की गई थी. जिस पंडित को जबरदस्ती करके मुहूर्त निकलवाया गया था उसने लग्न ही गलत निकाल दिया था. सभी हिन्दू शास्त्र कहते हैं कि मन्दिर, घर निर्माण और प्रवेश चर लग्न में नहीं करना चाहिए. उस धूर्त पुजारी ने चर लग्न और नवांश भी चर चुन लिया था. इसका दुष्परिणाम होना ही था. भाजपा अयोध्या के आसपास की सभी सीट हार गई साथ में राम से जुड़े सभी तीर्थ स्थलों को भी हार गई.

हिंदुत्व अब पूरी तरह बदनाम हो चूका है, इन्हें महात्माओं और शंकराचार्यों का श्राप लग गया है.