Spread the love

पौराणिक देवताओं के परस्त्रीगमन, अपहरण, बलात्कार की कथाओं में इंद्र इत्यादि की कथाएं अनेक हैं. इस पौराणिक कथा का ज्योतिष से कोई विशेष सम्बन्ध नहीं है यदपि की पौराणिक सम्बन्ध स्थापित करते हैं और आप भी कुछ सम्बन्ध निकाल सकते हैं. पौराणिक कथाओं में ज्योतिष का कुछ न कुछ बेध अवश्य रहता है. वास्तव में पौराणिकों का कुछ भी ज्योतिष के बगैर नहीं चलता.

भागवत इत्यादि पुराण कथा के अनुसार चन्द्रमा के जन्म के बाद, चन्द्रमा को सत्ताईस नक्षत्रों का राजा और स्वामी बनाया गया. उन्हें ब्राह्मणों, औषधियों पर भी स्वामित्व दिया गया. ज्योतिष के अनेक ग्रन्थ चन्द्रमा को वैश्य बताते हैं.  इस प्रकार वृहद साम्राज्य को पा कर चंद्रमा ने एक बहुत बड़े राजसूय यज्ञ का आयोजन किया जिसमें अत्रि होता बने, भृगु अध्वर्यु बने, हिरण्यगर्भ उद्गाता और वशिष्ठ ब्रह्मा बने। इस यज्ञ में सनत्कुमार इत्यादि ऋषियों ने भगवान श्री हरि को ही यज्ञ पुरुष बनाया. इस महान यज्ञ में सोम राजा ने ब्रह्मर्षियों को तीनों लोक दक्षिणा में प्रदान कर दिया था. उस समय सिनीवाली, कुहू, द्युति , पुष्टि, प्रभा वसु, कीर्ति, धृति और लक्ष्मी ये नौ देवियाँ उनकी सेवा में रत थीं. इस प्रकार ऋषियों और देवताओं द्वारा सम्मानित सोम राजा ने अवभृष स्नान किया और दशो दिशओं को अपनी कांति से प्रकाशित करने लगे.

राजसूय यज्ञ से प्राप्त बल और बैभव से सोम राजा शक्ति के मद में पागल से हो गये, उन्होंने एक दिन गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर लिया.
सोऽयजद् राजसूयेन विजित्य भुवनत्रयम् ।
पत्नीं बृहस्पतेर्दर्पात् तारां नामाहरद् बलात् ॥ ४ ॥ -भागवतं-९-१४-४

अन्यत्र देवी भागवत में अपहरण नहीं बल्कि कहा गया है कि दोनों में प्रेम के अंकुर फूटे थे और तारा अपनी मर्जी से ही सोम के पास गई थी.  तारा और सोम के प्रेम से ही बुध का जन्म हुआ. तारा को लेकर देवताओं के सेनापति इंद्र ने चन्द्रमा से घोर युद्ध का प्रारम्भ किया था जिसको ब्रह्मा जी ने रोका और दोनों पक्षों में मध्यस्थता करने के बाद चन्द्रमा को समझाबुझा कर तारा को पुन: गुरु बृहस्पति को प्रदान किया था.  गुरु बृहस्पति ने तारा को सम्मान के साथ स्वीकार किया लेकिन बुध किसका पुत्र है?

इस बावत पुन: चन्द्रमा और गुरु में विवाद हुआ. गुरु बृहस्पति ने बुध को अपना पुत्र बताया, चन्द्रमा ने अपना पुत्र बताया लेकिन विवाद खत्म नहीं हो रहा था. अंत में विवाद खत्म करने के लिए तारा से ही देवताओं ने पूछा कि बुध किसका पुत्र है क्योंकि स्त्री ही बता सकती है कि वह किस पुरुषसे गर्भवती हुई थी. तारा ने सभी देवताओं के समक्ष बुध को चन्द्रमा का पुत्र स्वीकार किया. गुरु बृहस्पति ने थोड़े खिन्न मन से ही लेकिन बुध को स्वीकार कर लिया, ब्राह्मण उदार होते हैं. लेकिन लोक में बुध चन्द्रमा के पुत्र के रूप में ही प्रसिद्ध हुए और मनुष्यों में चन्द्र वंश के विस्तार करने वाले हुए. इसी चन्द्र वंश में कृष्ण का जन्म हुआ था. कृष्ण में भी वंश के आद्य स्थापक पिता चन्द्रमा के गुण थे.