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वाल्मीकि रामायण राम कथा का सबसे प्राचीन और प्रामाणिक ग्रन्थ है. वाल्मीकि को हिन्दू बाबा आदि कवि मानते हैं. यह हिन्दू धर्म में पद्यात्मक महाकाव्य लेखन का पहला उदाहरण है. इससे पूर्व भारत में महाकाव्य लिखने की परम्परा नहीं थी. वाल्मीकि रामायण भारत में कथा की पहली किताब भी है. पुराणों में वर्णन है कि पुराण वाल्मीकि रामायण को मॉडल मान कर ही लिखे गये थे. ग्रीक कवि होमर ने 7 BC में इलियड लिखा था. कालक्रम से देखे तो वाल्मीकि रामायण 100 BC में लिखी गई या कुछ इतिहासकार AD 200 भी मानते हैं. कुछ इतिहासकार ऐसा भी मानते हैं कि यह पुष्यमित्र शुंग के शासन काल में लिखा गया था. यह राजा राम पुष्यमित्र शुंग ही है. वाल्मीकि ने राजा राम की पत्नी के सौन्दर्य का जिस प्रकार से वर्णन किया है वह काफी भोथरा है. सौन्दर्य की दृष्टि से यह वर्णन काफी निम्नस्तरीय और भौंडा है जो वाल्मीकि को महाकवि नहीं बनाता. अरण्यकाण्ड में उनके सौन्दर्य वर्णन का यह स्निपेट दिया जा रहा है, आप भी पढ़ें –

वाल्मीकि सीता के जंघा का वर्णन करते हैं और उपमा खुरदुरे हाथी के सूढ से देते हैं. यह काफी गंदी उपमा है. ऐसी खुरदुरे जंघाओं वाली स्त्री के पास भला कौन पुरुष जाएगा? सुन्दरी की जंघा का वर्णन कमसे कदली स्तम्भ से तो करना ही चाहिए. स्त्री का वदन चिकना होता है कमसे काम जंघाएँ तो चिकनी होती ही है. स्तन का वर्णन बहुत बेहतर नहीं है और उसमें साहित्यिक बात नहीं है. पूरे सौन्दर्य वर्णन में ही साहित्यिक बात नहीं है.