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सालासर बालाजी मंदिर हनुमान जी का एक भव्य मन्दिर है. यह मंदिर सालासर गाँव में स्थित है. यह सालासर गाँव सुजानगढ़ , राजस्थान में स्थित है. हनुमान मंदिर सालासर टाउन के ठीक बीच में स्थित है. सभी मन्दिरों की तरह ही यह मन्दिर भी स्वयंभू है. इस मन्दिर के इतिहास के अनुसार अनुसार, बहुत समय पहले राजस्थान के असोटा गाँव में, एक गिन्थला जाट किसान का हल चलाते समय किसी वस्तु से टकराकर वहीं रुक गया था. जब किसान ने देखा तो वहाँ एक पत्थर था. यह पत्थर ही हनुमान जी की मूर्ति है. उसी समय किसान की पत्नी किसान के लिए दोपहर का खाना लेकर खेतों में आई. दोपहर के भोजन में उसकी पत्नी ने बाजरे का चूरमा बनाया था. किसान ने श्री बालाजी महाराज को चूरमा का भोग लगाया. उस समय से लेकर आज तक श्री बालाजी महाराज को चूरमा का भोग लगाने की प्रथा है. हनुमान का प्राकट्य 1855 में श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के शुक्ल पक्ष की नवमी को शनिवार को हुआ था.
उसी दिन उस स्थान के जमींदार को भी स्वप्न आया था. उस दिन एक पुजारी मोहनदास नाम को स्वप्न में भगवान हनुमान ने सालासर में मंदिर बना कर उसमें मूर्ति स्थापित करने का आदेश दिया था. मोहनदास ने विक्रम संवत 1815 (सन् 1759) में सालासर में मंदिर-निर्माण करवाया. मोहनदास जी ने अपने भांजे उदयराम को अपना चोगा पहनाकर उन्हें दीक्षा दी. तत्पश्चात् उसी चोगे को गद्दी के रूप में निहित कर दिया गया. श्री हनुमान जी की मूर्ति का स्वरूप दाड़ी व मूंछ युक्त कर दिया क्योंकि सालासर आने से पूर्व श्री हनुमान जी ने स्वप्न में मोहनदास को इसी स्वरूप में दर्शन दिये थे. मंदिर प्रांगण में ज्योति प्रज्जवलित की गई जो विक्रम संवत् 1811 (सन् 1755) से अद्यावधि पर्यन्त अखण्ड रूप से अनवरत दीप्यमान है. हर साल चैत्र (मार्च-अप्रैल) और अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के महीनों के दौरान दो बड़े मेले आयोजित किए जाते हैं. सभी स्वयंभू मंदिरों की कहानी एक जैसी ही होती है. स्वप्न में ही ये प्रकट होते है और बताते हैं कि फलां जगह खुदाई करो और मुझे निकाल कर स्थापित करो. स्वयंभू मूर्ति के इस स्वप्न प्रपंच में तीन लोग शरीक होते हैं -पुजारी जिसे सपना आता है और बनिया या सामंत जिसे उस सपने का पता होता है. जिसके खेत में प्रकट होते हैं वह भी इसका प्रमुख व्यक्ति होता है. सभी स्वयंभू मन्दिरों की लग’भग यही कहानी रहती है.

270 साल बाद सालासर गाँव अब एक छोटा टाउन जैसा बन गया है जहाँ पांच छह बड़े होटल हैं, सैकड़ो दुकाने और रेस्टोरेंट हैं. यहाँ शनिवार को विशेष भीड़ रहती है. मन्दिर की दीवार पर मारवाड़ियों द्वारा दिया गया दान के सोने के पत्र जड़े हुए हैं जिन पर उनका नाम लिखा हुआ है. बाला जी हनुमान सालासर में प्रसिद्ध हैं और दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं. सालासर हनुमान को बाला जी कहा जाता है तथा मेहँदीपुर के हनुमान को भी बाला जी कहा जाता है.