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पहले हमने एक लेख में बताया था कि पंचदेवों में गणपति की भी पूजा देश भर में होती है और हिन्दू धर्म के विकास के उत्तर काल में गणपति की सर्वप्रथम पूजा विधान किया गया था. किसी भी देवता की पूजा और साधना में सर्वप्रथम गणेश की पूजा की जाती है ताकि व्यवधान न आये और पूजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हो जाए. गणपति सम्प्रदाय में अनेक तांत्रिक सम्प्रदायों का विकास हुआ था जिनमे एक हरिद्रा गणपति संप्रदाय है. हरिद्रा गणपति इसी सम्प्रदाय के देवता हैं.

तांत्रिक गणपति सम्प्रदाय के एक पुराण “मुदगल पुराण” में गणेश के बत्तीस रूप बताये गये हैं जिनमे एक हरिद्रा गणेश हैं. हरिद्रा अर्थात “हल्दी” के गणपति. हरिद्रा गणपति को “हल्दी की जड़ों” से अथवा पीसी हुई हल्दी से बना कर उनकी पूजा की जाती है. हरिद्रा गणेश के पूजन में बगलामुखी की तरह ही पूजन की सभी वस्तुएं पीले रंग की ली जाती हैं. तंत्र परम्परा में हरिद्रागणपति पीताम्बरा अर्थात बगलामुखी के अंग देवता हैं. बगलामुखी की तांत्रिक साधना और पूजा में सर्वप्रथम हरिद्रा गणपति की पूजा का विधान है.

श्रीविद्या तंत्र परम्परा के ग्रन्थ नित्योत्सव में इनको पीला वस्त्र पहने, पीले सिंहासन पर विराजमान, चार हाथो में पाश, अंकुश, मोदक और दंड लिए हुए एकदन्त चित्रित किया गया है. दक्षिणाम्नाय में हरिद्रा गणपति की छह भुजाएँ हैं और वह अपने पीले रंग और पीले वस्त्र के अलावा एक रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान दिखाए जाते हैं. उनके तीन दाहिने हाथ अंकुश धारण करते हैं और क्रोध-मुद्रा और अभयमुद्रा प्रदर्शित करते हैं. उनके बाएं हाथ में पाश, परशु तथा वरदमुद्रा हैं. अलग अलग तांत्रिक ग्रन्थों में दरिद्रागणपति के अलग अलग रूपों का वर्णन मिलता है.

हरिद्रा गणपति का यह ध्यान मन्त्र नित्योत्सव के अनुसार ही है –
पाशांकुशौ मोदकमेकदंतं करैर्दधानं कनकासनस्थम् ।
हारिद्रखंडप्रतिमं त्रिनेत्रं पीतांशुकं रात्रि गणेश मीडे ।।


यह गणपति मूलभूत रूप तांत्रिक कर्म द्वारा भौतिक चीजो की प्राप्ति, सम्मोहन, शत्रु विजय और अभिचार कर्म में प्रयुक्त किये जाते हैं. हरिद्रा गणेश का मन्त्र में बगलामुखी का अंग विद्या हैं इसलिए उनका प्रयोग बिना दीक्षा के करने से हानि होती है. ऐसा एक वाकया मेरे एक क्लाइंट के साथ हुआ, मेरे मना करने के बाद भी उसने बगलामुखी का तांत्रिक अनुष्ठान शत्रु के लिए करवाया था. इसमें उसकी मृत्यु हो गई थी. यहाँ देखें  यदि तांत्रिक गणेश का पूजन करवाना ही है तो किसी सक्षम और साधक तांत्रिक से करवाएं. आजकल के इंटरनेट पर कुकुरमुत्ते की तरह फैले कमर्शियल तांत्रिकों के चक्कर में कदापि न पड़ें.

तांत्रिक गणेश अथवा बगलामुखी या छिन्नमस्ता इत्यादि देवताओं की पूजा गृहस्थों को कदापि नहीं करनी चाहिए, घर का नाश होता है. गृहस्थ घर में सदैव सौम्य देवताओं की पूजा करें, इससे घर में सुख शांति रहती है. तांत्रिक विद्याओं से बड़े बड़े सिद्ध तांत्रिक जुड़े रहते हैं जिनमे वासनाएं रहती हैं, इनके अवाहन से उनका भी घर में प्रवेश हो जाता है. एक बार प्रविष्ट होने के बाद वे घर से नहीं निकलना चाहते, दूसरे देवता की पूजा करने पर घर का नाश करने लगते हैं.

हरिद्रा गणेश मंत्र- ऊं हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपतये वरवरद सर्वजन हृदयं स्तंभय स्तंभय स्वाहा ।