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हिन्दू तन्त्र शास्त्र में अनेक प्रकार की एल्केमी का वर्णन है. अनेक प्रकार के रस शास्त्र, पारद विद्या, स्वर्ण विद्या इत्यादि का वर्णन मिलता है. ऐसा एक वर्णन सूर्य भगवान के साक्षात् दर्शन से सम्बन्धित है. यह एक सिद्ध तांत्रिक प्रयोग है तथा दत्तात्रेय द्वारा सिद्ध तांत्रिक विधि बताई गई है. यह प्रयोग ताम्बे के पात्र और बिजौरा से ही सम्पन्न हो जाता है. इसका वर्णन इस प्रकार किया गया है –

मातुलुंगस्य बीजेन तैलं ग्राह्यं प्रयत्नत:।
लेपयेताम्रपात्रे च तन्मध्याह्ने विलोकयेत
रथेन सह साकारो दृश्यते भास्करो ध्रुवं।
बिना मन्त्रेण सिद्धि: स्यात् सिद्धयोग उदाहृत:

बिजौरा निम्बू अर्थात मतुलुंग के बीज का तेल को यत्न पूर्व निकल कर उसका ताम्बे के पात्र पर लेप करें और मध्याह्न में सूर्य के सम्मुख रख कर उसमे देखें. इसमें रथ सहित भगवान सूर्य का पूर्ण आकार दिखता है. यह बिना मन्त्र का सिद्ध प्रयोग है .

यदि सूर्य भगवान न दिखे तो ॐ घृणि सूर्याय नम: का ग्यारह हजार जप दोपहर में जल में खड़े होकर करें. जप के बाद इस विधि का प्रयोग करें. सूर्य देवता रथ सहित दिखेंगे.