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भगवान शिव हैं महाकाल. उनके द्वारा उपदेशित सब कुछ है अकाट्य सत्य. आगमों और पुराणों में भगवान शिव ने मृत्यु से सम्बन्धित अनेक समाधान किये हैं. यहाँ माता पार्वती द्वारा पूछे गये मृत्यु सम्बन्धी लक्षणों का वर्णन भगवान ने जिस प्रकार से कहा है वही यहाँ कहा जा रहा है. मृत्यु सम्बन्धी ठोस लक्षणों को ही यहाँ लिया गया है. चलिए जानते हैं मृत्यु के क्या होते हैं निश्चित लक्षण –

1-यदि मनुष्य का शरीर सभी ओर से पीला पड़ जाय और ऊपर से लाल दिखाई पड़े तो 6 महीने में मृत्यु हो जाती है.

2- जब मुख, कान, आँख, जिह्वा का अचानक स्तम्भन हो जाए अर्थात ये अपना काम न करें तो भी छह महीने में मृत्यु हो जाती है.

3-यदि पीछे से आती हुई जोर की ध्वनि न सुनाई पड़े तो काल वेत्ताओं ने छह माह में मृत्यु कही है.

4-सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि के रहने पर भी यदि मनुष्य को प्रकाश न दिखे, काला दिखाई पड़े तो छह मास में मृत्यु हो जाती है.

5-पूजा स्थल में यदि दीपक बुझने पर उसकी सुगंध न मिले तो भी छह महीने में मृत्यु जाननी चाहिए.

6-यदि बायाँ हाथ एक सप्ताह तक फडकता रहे तो उस मनुष्य का जीवन एक महीने रहता है.

7-जब देह टूटने लगे, तालू सुख जाए तो उस मनुष्य का जीवन एक महीने रहता है. इसमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए.

8-जीभ मोटी हो जाए और दांत से लार बहने लगे तो उन चिन्हों से जान लेना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाएगी.

9-जब सूर्य मंडल या चन्द्र मंडल किरणों से रहित दिखे तो उस मनुष्य की 15 दिन में मृत्यु हो जाती है.

10-यदि रात में इंद्रधनुष, दोपहर में उल्का दिखे अथवा कौआ और गीध उसे घेरने लगे तो उसकी छह महीने में मृत्यु हो जाती है.

11-यदि मनुष्य को अचानक नीले रंग की मक्खियाँ घेरने लगें तो उसकी निश्चय ही एक मास में मृत्यु हो जाती है.

12-यदि एक ही वाम नाड़ी से सांस दस दिन चले तो मनुष्य एक वर्ष में मर जाता है. यदि एक ही नाड़ी से बीस दिन तक स्वांस चले तो छह महीने आयु रहती है. यदि बायीं नाड़ी 15 दिन चले तो तीन महीने आयु रहती है, यदि 26 दिन तक चले तो दो महीने आयु रहती है, यदि सत्ताईस दिन तक बाई नाड़ी चले तो उसकी आयु एक महीने रहती है.

यह नाड़ी विज्ञान स्वर शास्त्र का विषय है. इसको जानने के लिए थोड़े अभ्यास की जरूरत होती है. नाड़ियों के उदय और अस्त से भूतो का उदय और अस्त होता है. उसको जानकर मनुष्य यह जान सकता है कि किस समय कौन सा भूत उदित है. भूत, रंध्र, दिशा, ध्वज और नाद प्रमाण को जानकर मनुष्य आयु को जान सकता है.

सभी तत्व आकाश में लय को प्राप्त हो जाते हैं इसलिए आकाश तत्व के स्वामी बृहस्पति को जीव कहा जाता है. यदि बृहस्पति अच्छा हो तो आयु अच्छी रहती है.