
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि विश्वेदेव और भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन व्रत पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं. एकादशी करने वाला संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक को प्राप्त करता है. श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं. इस साल कामिका एकादशी का व्रत सोमवार, 21 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. जो मनुष्य श्रावण में भगवान शिव और विष्णु का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं. पापों से निवृत्ति के मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए. कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण का महान फल बताया गया है. पुराणों में कहा गया है कि जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं. जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं.
कामिका एकादशी मुहूर्त –
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर होगा. ऐसे में कामिका एकादशी व्रत 21 जुलाई को किया जाएगा. अगले दिन द्वादशी में 22 जुलाई को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से लेकर 07 बजकर 10 मिनट के मध्य साधक पारण किया जा सकता है. कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान का महान फल बताया गया है.
कामिका एकादशी की कथा –
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था. एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और इसके हाथों ब्राह्मण की मृत्य हो गई.अपने हाथों मारे गये ब्राह्मण का दाहसंस्कार आदि उस क्षत्रिय ने करना चाहा. परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया. ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है. पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे. इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है? तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी. पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है. इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं.